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Hindi News बिहार IAS अधिकारी केके पाठक के खिलाफ FIR दर्ज कराएंगे बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, मीटिंग में गाली-गलौज का मामला

IAS अधिकारी केके पाठक के खिलाफ FIR दर्ज कराएंगे बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, मीटिंग में गाली-गलौज का मामला

वीडियो में IAS अधिकारी केके पाठक बिहार के लोगों और अधिकारियों के लिए अपमानजनक शब्द कहे हैं। बिपार्ड के DG केके पाठक ने अधिकारियों की बैठक में अपशब्द कहा है। वीडियो के सामने आने के बाद बिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने मुख्य सचिव से शिकायत की है।

आईएएस केके पाठक- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO आईएएस केके पाठक

पटना : बिहार के एक सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक के विभागीय मीटिंग के दौरान गाली-गलौज के मामले में 'बासा' (Bihar Administrative Service Association) के अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है। केके पाठक ने मीटिंग के दौरान बासा और बिहार के लोगों के खिलाफ काफी अपमानजनक बातें कहीं हैं। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वे गाली गलौज करते नजर आ रहे हैं।

इस घटना पर आपत्ति जताते हुए बासा के महासचिव सुनील कुमार तिवारी ने कहा कि मैंने भी वीडियो देखा है, जिसमें वे कई अशोभनीय बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे पदाधिकारी जो मानसिक रूप से विक्षिप्त दिखाई दे रहे हैं, उन पर सरकार कार्रवाई करे और उन्हें बर्खास्त करे. तिवारी ने कहा कि मैं सीएम नीतीश कुमार से और मुख्य सचिव से अनुरोध करता हूं कि उनपर अविलंब कार्रवाई करें नहीं तो आगे हमलोग अपना खुद का निर्णय लेंगे और जरूरत पड़ी तो हम इसके खिलाफ सड़क पर भी उतरेंगे।

केके पाठक की नाराजगी के पीछे की वजह

वायरल हो रहे वीडियो में आईएएस केके पाठक निबंधन सेवा के अधिकारियों से कह रहे हैं कि तुम लोग लिख कर दो कि वह तुम्हारे साथ खाना खाने से इनकार कर रहा है. इसके बाद अगले ही दिन बासा की ट्रेनिंग को रद्द भी कर दिया गया था। नौ दिसंबर 2022 को बासा के खिलाफ एक प्रेस रिलीज जारी किया गया जिसमें इन प्रोबेशनर्स पर निबंधन, पंचायती राज जैसी दूसरी सेवाओं के अधिकारियों के साथ भोजन नहीं करने की बात लिखी गई थी।

केके पाठक की नाराजगी के बारे में कहा जा रहा है कि काफी हार्ड ट्रेनिंग की वजह से अधिकारी बीमार पड़ रहे हैं। 14 नवंबर को गया से ही फील्ड ट्रेनिंग में मसूरी भेजे गए एक डिप्टी कलेक्टर विवेक कुमार की देहरादून में मौत हो गई थी। इसके बाद हार्ड ट्रेनिंग की वजह से कई लोगों के बीमार पड़ जाने के बाद डीजी के फैसले का विरोध भी किया जा रहा था।