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Hindi News बिहार जानिए कैसे महागठबंधन में CM बनने की महत्वाकांक्षा से मझधार में फंस गई नीतीश की नैया

जानिए कैसे महागठबंधन में CM बनने की महत्वाकांक्षा से मझधार में फंस गई नीतीश की नैया

जदयू जहां नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का सबसे योग्य उम्मीदवार बता रही है वहीं महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है। महागठबंधन में नेता मुखर होकर मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी कर रहे हैं, जिससे जदयू को भी जवाब देते नहीं सूझ रहा है।

tejashwi yadav nitish kumar- India TV Hindi Image Source : PTI तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार

पटना: कहा जाता है कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति से तय होती है। बिहार में सत्तारूढ महागठबंधन की सरकार है और सरकार के मुखिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगने वाले हैं। इधर, जदयू जहां नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का सबसे योग्य उम्मीदवार बता रही है वहीं महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है। महागठबंधन में नेता मुखर होकर मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी कर रहे हैं, जिससे जदयू को भी जवाब देते नहीं सूझ रहा है।

बतौर मुख्यमंत्री अंतिम पाली खेल रहे नीतीश?
इधर, विपक्ष भी इस स्थिति में मजे ले रही है। गौर से देखा जाए तो हाल के दिनों में महागठबंधन जितना विपक्ष से परेशान नहीं है, उतने अपने ही घटक दलों में हो रही बयानबाजी से परेशान है और सबके निशाने पर या तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं या उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव। वैसे, यह भी गौर करने वाली बात है कि अगले लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के घटक दल एकजुट होने का दावा भी करते हैं। बिहार में लोगों का मानना भी है कि नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री अंतिम पाली खेल रहे हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर संशय की स्थिति में मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर चर्चा गर्म है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौके पर तेजस्वी के नेतृत्व की सार्वजनिक बात रख चुके हैं। सार्वजनिक मंच से वे कह चुके हैं कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे।

'डिरेल हो गई है नीतीश की राजनीति'
भाजपा के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि इसमें कोई नई बात नहीं है। जब महागठबंधन बना था तभी यह तय था कि कि यह 'रारबंधन' है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि घटक दलों में शामिल दलों की उत्पत्ति ही विरोध में हुई है। वे कहते हैं कि कांग्रेस के विरोध में राजद की उत्पति हुई थी और राजद के विरोध में जदयू की उत्पति हुई है। उन्होंने कहा कि राजनीति फायदे और अपने फायदे के लिए सभी लोग एक साथ हैं, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुख्यमंत्री को हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बिहार तो 'डिरेल' हो ही गया, नीतीश की राजनीति भी 'डिरेल' हो गई।

मझधार में फंस गई है नीतीश की नैया
नीतीश कुमार राजद नेता तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर उनके नेतृत्व को भले ही स्वीकार करने के संकेत दे दिए हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी और गठबंधन में तेजस्वी के नाम को लेकर उभरे विवाद से नीतीश की नैया मझधार में फंस गई है। इसमें कोई शक नहीं है कि कल तक बिहार में सिर्फ तेजस्वी का नाम ही मुख्यमंत्री चेहरा के लिए जाना जा रहा था, लेकिन हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा और मंत्री संतोष कुमार सुमन का भी नाम लिया जाने लगा है।

'अगर कोई PM बनने की इच्छा रखता है तो मैं CM क्यों नहीं?'
जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पिछले कई महीनों से पार्टी नेतृत्व से ही नाराज चल रहे हैं। उनके बयानों को लेकर हालांकि सरगर्मी तेज होती है, लेकिन जदयू के नेता सिर्फ अपने बचाव में यही कह पाते हैं कि उनका दूसरे दलों में जाने की इच्छा है। हालांकि कुशवाहा साफ कर चुके हैं कि वे पार्टी में रहेंगे।

हाल ही में कुशवाहा ने एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताकर यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि उनका मकसद जदयू छोड़ना नहीं बल्कि नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने का है। कुशवाहा ने आशंका जताते हुए कहा कि तेजस्वी मुख्यमंत्री बने तो फिर जंगलराज वापस आएगा। राजनीति में लोग संघर्ष करते हैं और उनमें सत्ता हासिल करने की आकांक्षा भी होती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है तो मैं मुख्यमंत्री क्यों नहीं?

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जीतन राम मांझी ने क्या कहा?
इधर, महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी इन दिनों गरीब संपर्क यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने बिना तेजस्वी के नाम लिए ही अपने पुत्र और बिहार के मंत्री संतोष कुमार सुमन को मुख्यमंत्री के योग्य बता दिया। मांझी ने कहा कि संतोष पढ़ा-लिखा है। उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। मुख्यमंत्री के लिए बहुतों का नाम आता है, वैसे लोगों को पढ़ा सकता है। वह प्रोफेसर है। सब कुछ है। सिर्फ यही है कि वह भुइयां जाति से आता है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो दलित हैं, गरीब तबके के लोग हैं जिसकी आबादी 90 प्रतिशत है, उसका नेतृत्व नहीं होगा क्या?

इधर, जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार कहते है कि मुख्यमंत्री किसी के कहने से नहीं बनता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जनता बनाती है। जनता जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना सकती है। बहरहाल, बिहार में महागठबंधन में सरकार चल रही है, लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की संख्या बढ़ी है, उससे तय है कि इस महागठबंधन में गांठ पड़ने में देर नहीं है।