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बिहार में लॉकडाउन के दौरान पुलिस ‘ज्यादती’ पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लॉकडाउन लागू करने में पुलिस की कथित ज्यादती और राज्य के विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में रोगियों एवं उनके साथ मौजूद परिजनों के साथ उचित व्यवहार न किए जाने की शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त की है।

HC upset over 'brutality' by cops during lockdown in Bihar- India TV Hindi Image Source : PTI पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लॉकडाउन लागू करने में पुलिस की कथित ज्यादती पर नाराजगी व्यक्त की है।

पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लॉकडाउन लागू करने में पुलिस की कथित ज्यादती और राज्य के विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में रोगियों एवं उनके साथ मौजूद परिजनों के साथ उचित व्यवहार न किए जाने की शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ द्वारा गठित विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय टीम ने राज्य भर में दौरा कर सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा कोविड देखभाल केंद्रों का अवलोकन करने के बाद एक रिपोर्ट पेश की थी जिसका अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने इस संबंध में मंगलवार को एक आदेश पारित किया। 

पटना हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘राज्य ने ‘टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ की नीति अपनाई है, लेकिन एक गांव में एक अनपढ़ व्यक्ति के लिए सूचना का प्रसार उस भाषा में होना चाहिए जिसे वह समझता है। सरकार को एक राज्यस्तरीय प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए जो एक आम व्यक्ति को वायरस से निपटने की आवश्यकता को समझने में सक्षम बनाता है।’’ इसने लॉकडाउन लागू कराने के दौरान पुलिस द्वारा की गई कथित ज्यादती पर चिंता जताने के साथ ही संबंधित अधिकारियों को इसकी जांच करने का निर्देश दिया। 

राज्य में पांच मई से पूर्ण लॉकडाउन है और इसे एक जून तक बढ़ा दिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि मरीजों और परिजनों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इसने आदेश दिया, ‘‘सरकार, साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य संस्थानों, सार्वजनिक और निजी, को सूचना के प्रसार के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना चाहिए जो आम जनता के मन में विश्वास पैदा करेगा।’’ 

अदालत ने यह भी कहा कि यह पूर्व मंत्री एवं पूर्व महाधिवक्ता पी के शाही द्वारा अकुशल युवाओं जिन्होंने समर्पित कोविड देखरेख केंद्रों में सेवा देने की इच्छा जताई है, को बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने के सुझाव पर गौर किया जाना चाहिए। मामले में अगली सुनवाई दो जून को होगी। 

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