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Hindi News बिहार ‘...तभी तो 9वीं फेल को लोग उपमुख्यमंत्री मानेंगे’, नीतीश और लालू पर प्रशांत किशोर का बड़ा हमला

‘...तभी तो 9वीं फेल को लोग उपमुख्यमंत्री मानेंगे’, नीतीश और लालू पर प्रशांत किशोर का बड़ा हमला

प्रशांत किशोर ने लालू यादव और नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलते हुए सवाल किया कि जब ये नेता इतने दिनों से सत्ता में हैं, तो पहले जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवाई।

Prashant Kishor, Lalu Yadav, Nitish Kumar, caste census, Bihar caste census- India TV Hindi Image Source : FILE प्रशांत किशोर।

समस्तीपुर: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करारा हमला बोला है। इस बार प्रशांत किशोर के हमले की जद में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी आए हैं। जातीय जनगणना को लेकर मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं शुरुआती दौर से कहता आ रहा हूं कि सबसे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछा जाना चाहिए कि इसका कानूनी आधार क्या है? उन्होंने कहा कि आज ये आम लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए सर्वे करवा रहे हैं।

‘इलेक्शन आने वाला है तो बाप-बाप कर रहे हैं’
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘जातीय जनगणना राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आती ही नहीं है। इन नेताओं को कोई जातीय जनगणना नहीं करवानी है। बिहार की जनता खुद सोच कर देखे कि नीतीश कुमार इतने लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं, इसके बाद भी उन्होंने आज तक जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाई? RJD की सरकार थी, लालू यादव खुद 15 साल सरकार में थे, क्यों नहीं करवाई जातीय जनगणना? आज इन्हें ज्ञात हो रहा है? सच्चाई तो यह है कि इलेक्शन आने वाला है और कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा है तो बाप-बाप कर रहे हैं।’

‘...तभी तो 9वीं फेल को लोग उपमुख्यमंत्री मानेंगे’
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, ‘आज ये समाज को बांटने का काम कर रहे हैं, इसके अलावा इनकी कोई मंशा नहीं है। पिछले 32 सालों से लालू-नीतीश मुख्यमंत्री हैं, इन्होंने पहले जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाई? अगर ये राज्य का मामला था तो पहले क्यों नहीं करवाई गई? सच्चाई तो यह है कि यह जातीय जनगणना नहीं बल्कि सर्वे है। जातियों की राजनीति करनी है ताकि सारा समाज बंटा रहे, अशिक्षित और अनपढ़ बना रहे, तभी तो 9वीं फेल को लोग उपमुख्यमंत्री मानेंगे। बिहार के लोगों को समझने की जरूरत है कि अगर गरीब के बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो कौन इन अनपढ़ों को नेता मानेगा?’