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Hindi News बिज़नेस मैं मोदी के काम को 10 में से 8 अंक दूंगा

मैं मोदी के काम को 10 में से 8 अंक दूंगा

अरुण केजरीवाल फाउंडर, केजरीवाल रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को जो जनादेश मिला था वो अभूतपूर्व था और करीब तीस साल बाद किसी एक पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला।

धैर्य रखें और मोदी को...- India TV Hindi धैर्य रखें और मोदी को काम करने दें

अरुण केजरीवाल
फाउंडर, केजरीवाल रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सर्विसेज़

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को जो जनादेश मिला था वो अभूतपूर्व था और करीब तीस साल बाद किसी एक पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला। इस प्रचंड जीत के बाद कई उम्मीदों ने जन्म ले लिया। जनता 10 साल के यूपीए कार्यकाल से उकता चुकी थी, विशेषकर यूपीए के दूसरे साल से जिसमें एक के बाद एक घोटालों से देश हिल गया और वह गठबंधन की राजनीति का हवाला देते हुए अपना बचाव करती रही। ऐसे में जनता को जैसे ही ऐसा व्यक्ति दिखा जो बदलाव ला सकता था, जनता ने उसका चुनाव कर लिया।

पहले साल का प्रदर्शन इस पर आंका जाना चाहिए कि क्या हासिल हुआ, क्या नहीं और क्या उम्मीदें थीं। क्योंकि जैसा कि किसी और ने नहीं बल्कि रघुराम राजन ने कहा कि यह बहुत ही अच्छी बात है कि उन उम्मीदों के सहारे सरकार का चयन किया गया, जो कभी पूरी नहीं हो सकतीं या वो अवास्तविक थीं।  जिस पारदर्शी ढंग से कोल ब्लॉक की नीलामी को संपन्न किया गया और इसके जरिए लाखों करोड़ों रुपए राज्यों को मिलेंगे, वह एक उपलब्धि है और यह देश में बेमिसाल है। यह तरीका भविष्य में प्राकृतिक संसाधनों की पारदर्शी तरीकों से नीलामी के रास्ते को खोल देगा। जनधन योजना में करीब 8 करोड़ से ज्यादा लोगों के खाते खुले। इससे पता चलता है कि देश में स्पष्ट रूप से वित्तीय समावेशन हुआ है। अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। बैंकिंग सर्विस के तहत काफी सारे लोगों को बैंकिंग फायदे की जद में लाना उनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मदद है। ये खाते लोगों को आधार कार्ड से जोड़ने और डायरेक्ट सब्सिडी ट्रांसफर और सब्सिडी योजना में खामी रोकने में काफी हद तक मददगार होंगे।

हमारा देश नौकरशाही पर निर्भर रहता है। नीतियों को बनाने और उनका पालन करवाने के लिए हमारे नौकरशाह काफी योग्य हैं। अभी तक यह धड़ा बेकार था। आप इसे कुछ और कह सकते हैं लेकिन यह सब कुछ बदल चुका है। अब वो तय समय पर अपने दफ्तर में होते हैं। अगर काफी सारे लोग कुशलतापूर्वक काम करें तो काफी कुछ हासिल किया जा सकता है और ऐसे में जो भी योजना बनाई जाएगी वो बेहतर और तार्किक होगी। महंगाई की दर में जो गिरावट आई थी उसका सीधा ताल्लुक क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट से था। भाग्य भी बहादुर लोगों की मदद करता है। परियोजनाओ की मंजूरी में होने वाली देरी की समस्या लगभग खत्म हो चुकी है और रुकी हुईं परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। अगर हम इतिहास में 15 साल पीछे जाएं तो अटल बिहारी बाजपेयी ने स्वर्णिम चतुर्भुज की जिस योजना की नींव रखी थी और जिसने भारत के फायदे और तरक्की की राह देखी थी, उस पर आज तेजी से काम हो रहा है। इसी तरह भारत माला प्रोजेक्ट की नींव रखी गई है और उम्मीद है कि इस योजना के अमल में आने पर आज से दस साल बाद देश को काफी मदद मिलेगी।

वहीं राजनीतिक पक्ष से देखें तो लोकसभा में पार्टी संख्या के लिहाज से बेहतर तरीके से काम कर रही है और पहले की सरकारों की तुलना में ज्यादा काम हो रहा है। अब रुकावटें पुरानी बात हो चली हैं और पिछली सरकार की तुलना में कई गुना ज्यादा विधायी काम हो चुका है। यह दीगर बात है कि उपलब्धता न मिली हो लेकिन इसने काफी हद तक मदद की है। विदेशी संबंधों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है फिर वो चाहे हमारे पड़ोंसी हों या अमेरिका, चीन और जापान जैसे देश। इन देशों की यात्राएं और अमेरिका-चीन के भारत आगमन ने भारत की परियोजनाओं को फंडिंग के लिहाज से काफी मदद की है। अब वो दिन बीत गए जब हम फंडिंग के लिए विकसित देशों की राह तकते थे। आज तकनीकें साझा हो रही हैं और हम भी उसी तरह विकास कर रहे हैं।

वहीं छोटे उदाहरण के तौर पर, जिस पर अभी तक ज्यादा ध्यान नहीं गया और वो भारत के आम आदमियों से सीधे तौर पर ताल्लुक नहीं रखता है, वह फ्रांस के साथ हुई रफेल डील है। भारतीय वायुसेना को एयरक्राफ्ट की दरकार थी, हमें भविष्य के लिए तकनीक की जरूरत है। लेकिन यह सौदा काफी समय से लटका हुआ था। मोदी ने फ्रांस सरकार के साथ डील की और तकनीक के साझा करने से संबंधित सभी लंबित मुद्दे सुलझ गए। जो चीज हासिल नहीं की जा सकी और सरकार जिस पक्ष पर नाकाम रही वो है रोजगार सृजन। मोदी जैसे जादूगर से लाखों रोजगार सृजन की उम्मीदें थीं, जिसके लिए उनकी लहर चली थी, लेकिन वह नहीं हो सका। उन्होंने जो किया वह नीतियां, प्रक्रिया और उद्योग के लिए सुविधा देना था जो कि 1 लाख रोजगार सृजन के लिए जरूरी होगा। लेकिन यहां पर किसी को धीरज नहीं है।

देश की जनता ने सरकार को पांच साल के लिए चुना है। इस सरकार का प्रदर्शन भी इसी आधार पर तय किया जाएगा कि क्या उम्मीदें थी और सरकार ने उन पर कितना काम किया। कुछ लक्ष्य हैं जो तय हैं और किसी की निगाह उन लक्ष्यों को पाने के लिए होने वाली प्रगति पर है। मेरा मानना है कि अगर इस सरकार को 1 से 10 के बीच अंक दिए जाने हों तो मैं सरकार को उसके प्रदर्शन के आधार पर 8 नंबर दूंगा। सरकार सही रास्ते पर है और जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि किसी बड़े लक्ष्य को पाने के लिए आपको छोटी-छोटी चीजों पर लालच न कर उनसे आगे बढ़ना होगा।

लोगों से विनम्र निवेदन है कि लोग यह देखें कि देश ने क्या प्राप्त किया है न कि यह कि आपने नौकरी की उम्मीद लगाई थी। अगर आप किसी गांव में रहते हैं और अगर वहां सड़क और बिजली की उपलब्धता है तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ काफी ज्यादा होंगे। धैर्य रखें और उस व्यक्ति को काम करने दें जिसे पांच साल का जनादेश मिला है।  

(लेखक शेयर बाज़ार के जाने-माने विशेषज्ञ और केजरीवाल रिसर्च के फाउंडर हैं)