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इन पांच तरह से हुई आय तो लगेगा टैक्स

नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय फॉर्म के दूसरे हिस्से में बतायी जाने वाली आय मुख्यत: 5 रूप में होती है। सीधे शब्दों में कहें तो इनकम टैक्स की भाषा में आय के मुख्यत:

आय के चौथे स्रोत में कैपिटल गेन से होने वाली आय को रखा जाता है। मसलन किसी संपत्ति की बिक्री पर हुआ लाभ। यह कर योग्य होता है।

  •  संपत्ति के मालिकाना हक बदलने की तारीख से यह तय होता है कि यह कैपिटन गेन यानी पूंजीगत लाभ छोटी अवधि (शार्ट टर्म) या लंबी अवधि (लांग टर्म) है।
  • आमतौर पर अगर आप किसी संपत्ति को 36 महीनों से ज्यादा की अवधि तक अपने पास रखते हैं और इसके बाद बेचते हैं तो इसे लांग टर्म माना जाता है। इससे कम अवधि का होने पर इसे शार्ट टम कैपिटल गेन की श्रेणी में रखते हैं।
  • आमतौर पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर 20 फीसदी की दर से कर लगता है।
  • आप लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर छूट का दावा कर सकते हैं, फिर चाहें आपको यह लाभ घर में या विभिन्न कंपनियों के बॉन्ड में एक सीमित समयावधि में निवेश से अर्जित हुआ हो।
  •  शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आमतौर पर आपकी अन्य आय में शामिल माना जाता है इसलिए इसमें सामान्य दर पर कर कटौती होती है जो आप पर निर्भर होती है।
  • लिस्टेड (सूचीबद्ध) इक्विटी शेयर और इक्विटी स्कीम की इकाई को भी उस सूरत में लांग टर्म में शामिल किया जाता है अगर आप इक्विटी को 12 महीनों से ज्यादा की समयावधि तक अपने पास रखते हैं।
  • स्टॉक एक्सचेंज के जरिए लिस्टेड इक्विटी शेयर की बिक्री पर लांग टर्म कैपिटल गेन और इक्विटी म्युच्युअल फंड की इकाईयां या संख्या पूरी तरह से मुक्त होती हैं।
  • लिस्टेड इक्विटी शेयर की बिक्री पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और इक्विटी म्युच्युअल फंड की इकाई या संख्या पर 15 फीसदी की दर से कर लगता है।

 अगली स्लाइड में पढ़े- आय के पांचवे हिस्से के रुप में अन्य स्त्रोतों से हुई आय को जोड़ा जाता है।