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छत्तीसगढ़ में अब नक्सलवाद का पूरी तरह से होगा सफाया, BSF और ITBP के जवान संभालेंगे मोर्चा

छत्तीसगढ़ की सबसे प्रमुख समस्याओं में अभी भी सबसे ऊपर नक्सलवाद की समस्या को माना जाता है। यहां पर नक्सलवादी अभी भी काफी सक्रिय हैं। इन्हीं नक्सलवादियों पर नियंत्रण लगाने के लिए अब बीएसएफ और आईटीबीपी के कई बटालियनों को तैनात किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का होगा सफाया।- India TV Hindi Image Source : PTI छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का होगा सफाया।

रायपुर: माओवादियों के अंतिम गढ़ों में उनके खिलाफ अभियान तेज करने की रणनीति के तहत सीमा सुरक्षा बल (BSF) की 3,000 से अधिक कर्मियों की तीन बटालियन ओडिशा से छत्तीसगढ़ जाएंगी। इतनी ही संख्या में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की इकाइयां छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के गढ़ अबूझमाड़ के भीतरी इलाकों में जाएंगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि भारत वामपंथी उग्रवाद (LWE) को खत्म करने के कगार पर है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस लड़ाई को जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध’’ है। अभियान का नया खाका शाह की इसी योजना का हिस्सा है। 

बीएसएफ के 6 नए सीओबी बनाने के निर्देश

गृह मंत्री अमित शाह ने 1 दिसंबर को कहा था कि ‘‘बीएसएफ, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) जैसे बल एलडब्ल्यूई (वामपंथी उग्रवाद) के खिलाफ आखिरी प्रहार कर रहे हैं। हम देश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ इन बलों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कहा जाता है। सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 6 नए सीओबी या ‘कंपनी ऑपरेटिंग बेस’ बनाने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत शुरुआत में ओडिशा के मलकानगिरी में स्थित एक बटालियन को अंतर्राज्यीय सीमा के दूसरी ओर ले जाया जाएगा। बीएसएफ की एक बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मी होते हैं। वहीं आईटीबीपी की छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, राजनांदगांव और कोंडागांव जिलों में वर्तमान में लगभग 8 बटालियन हैं। आईटीबीपी को अबूझमाड़ और भीतरी इलाके में एक इकाई भेजने के लिए कहा गया है। 

नक्सलियों का गढ़ है नारायणपुर

नारायणपुर जिले में लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र है और सशस्त्र नक्सली काडर का गढ़ माना जाता है। अबूझमाड़ के लगभग 237 गांवों में करीब 35,000 लोग रहते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी हैं। वर्तमान में, इस क्षेत्र में कोई स्थायी, केंद्रीय या राज्य पुलिस बेस नहीं है और बताया जा रहा है कि सशस्त्र माओवादी काडर राज्य के दक्षिण बस्तर क्षेत्र में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के पार से यहां आकर अपनी गतिविधियां को चला रहे हैं और प्रशिक्षण ले रहे हैं। बस्तर क्षेत्र में दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर से लेकर नारायणपुर और कोंडागांव और कांकेर जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र वह आखिरी गढ़ है जहां माओवादियों के पास कुछ ताकत है।

माओवादी नेटवर्क को किया जा रहा ध्वस्त

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बल माओवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने और क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए यहां अपनी ताकत को बढ़ा रहे हैं और बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं ताकि राज्य सरकार विकास कार्य शुरू कर सके। उन्होंने कहा कि बाद में बीएसएफ और आईटीबीपी की दो-दो और बटालियन को दक्षिण बस्तर के पास छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर भेजा जाएगा। एक अन्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि नक्सली मलकानगिरी, कोरापुट और कंधमाल जैसे ओडिशा के जिलों में आने-जाने के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर गलियारे का उपयोग कर रहे हैं और इसलिए केंद्रीय बलों को इन दोनों राज्यों की सीमा पर अधिक सीओबी बनाने का काम सौंपा गया है।

(इनपुट: भाषा)

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