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दिल्ली: कोविड-19 अस्पतालों में करीब 70 % बेड खाली, निजी अस्पतालों में लगभग फुल

दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए नामित पांच अस्पतालों में लगभग 70 प्रतिशत बिस्तर खाली पड़े हैं, इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 रोगियों के लिए बिस्तर उपलब्ध न होने या उपचार न मिलने की शिकायतें मिली हैं। 

दिल्ली: कोविड-19 अस्पतालों में करीब 70 % बेड खाली, निजी अस्पतालों में लगभग फुल- India TV Hindi Image Source : GOOGLE दिल्ली: कोविड-19 अस्पतालों में करीब 70 % बेड खाली, निजी अस्पतालों में लगभग फुल

नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए नामित पांच अस्पतालों में लगभग 70 प्रतिशत बिस्तर खाली पड़े हैं, इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 रोगियों के लिए बिस्तर उपलब्ध न होने या उपचार न मिलने की शिकायतें मिली हैं। इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति इसलिए है क्योंकि लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं कराना चाह रहे हैं। 

बृहस्पतिवार दोपहर को ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप पर साझा की गई नवीनतम जानकारी के अनुसार, इन पांच कोविड-19 अस्पतालों में 3,000 से अधिक बिस्तर खाली पड़े हैं, जिनकी कुल क्षमता 4,344 बिस्तरों की है। हालांकि, कई बड़े निजी अस्पतालों के लगभग सभी बिस्तर भरे हैं। कोविड-19 के कई पुष्ट व संदिग्ध रोगियों के परिवारों ने पिछले कुछ हफ्तों में आरोप लगाए हैं कि उन्हें कई अस्पतालों में उनके परिजनों को भर्ती नहीं किया गया या उन्हें बिस्तर नहीं मिल सके। 

चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ऐसा सरकारी अस्पतालों की छवि, बुनियादी ढांचे और स्वच्छता की स्थिति और शायद कर्मचारियों की कमी के कारण हो सकता है। बृहस्पतिवार दोपहर को ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप पर उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, केंद्र और दिल्ली सरकारों द्वारा संचालित अस्पतालों और निजी अस्पतालों में कुल 9,444 बिस्तर उपलब्ध हैं। इनमें से 4,371 खाली हैं। 

ऐप में बताया गया है कि कोविड-19 उपचार के लिए समर्पित दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध हैं। एलएनजेपी अस्पताल में 1,219 बिस्तर उपलब्ध हैं, जबकि जीटीबी अस्पताल में 1,314, राजीव गांधी सुपर स्पेशयलटी अस्पताल में 242 बिस्तर खाली हैं। हालांकि, उसमें दिखाया गया है कि कई बड़े निजी अस्पतालों के लगभग सभी बिस्तर भरे हुए हैं। एलएनजेपी अस्पताल में कुल 2,000 बिस्तर हैं, जिनमें से 781 भरे हुए हैं। 

जीटीबी अस्पताल में कुल 1,500 बिस्तर हैं, जिनमें से केवल 186 बिस्तरों पर मरीज भर्ती हैं। आरजीएसएसएच में भी 500 में से 258 बिस्तर ही भरे हुए हैं। ऐप के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अन्य समर्पित कोविड-19 अस्पतालों में भी बिस्तर उपलब्ध हैं। दीप चंद बंधु अस्पताल में कुल 176 में से 94 बिस्तर खाली हैं और सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में कुल 168 में से 145 बिस्तर खाली हैं। दिल्ली सरकार के इन पांच अस्पतालों में कुल 4,344 बिस्तर हैं, जिनमें से 3,014 यानी 69.38 प्रतिशत खाली हैं। 

आरजीएसएसएच के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘‘हम अस्पताल में कोविड-19 के केवल बहुत गंभीर रोगियों को ही भर्ती कर रहे हैं। हल्के लक्षणों वाले या बिना लक्षण वाले मरीजों को या तो उनके घर में ही पृथकवास में रखा जा रहा है या उन्हें कोविड-19 देखभाल केंद्र भेजा जा रहा है। गंभीर हालत वाले रोगियों को भर्ती करने के लिए हमारे पास अतिरिक्त बिस्तर भी उपलब्ध हैं।’’ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने हाल ही में कहा था कि हो सकता है कि कुछ निजी अस्पताल ने मरीजों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया हो, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों ने किसी भी जरूरतमंद कोविड-19 रोगी को बिस्तर देने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि कोविड-19 इलाज के लिए निर्धारित बिस्तरों की संख्या के मामले में बड़े निजी अस्पतालों के लगभग सभी बिस्तर भरे हुए हैं। 

ऐप के अनुसार, इंद्रप्रस्थ अपोलो, शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल, बीएल कपूर अस्पताल जैसे प्रमुख निजी अस्पतालों में बिस्तर पूरी तरह से भरे हुए हैं। साकेत के मैक्स अस्पताल में कोविड-19 रोगियों के लिए कुल 200 बिस्तर हैं, जिनमें से केवल एक खाली है। नौ जून को, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में 22 निजी अस्पतालों को कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए कुल 2,015 अतिरिक्त बिस्तर आरक्षित करने का निर्देश दिया था। 

वकील और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि बुनियादी ढांचे और स्वच्छता दो मुख्य कारक हैं, जिसके कारण लोग अभी भी सरकारी अस्पतालों में जाने से बचना चाहते हैं। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस 1,501 नए मामले सामने आए, जिससे महानगर में कोविड-19 मामलों की कुल संख्या 32,000 से अधिक हो गई और संक्रमण के कारण अब तक 984 लोगों की मौत हुई हैं।