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Hindi News दिल्ली उमर खालिद और ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों की साजिश में थे शामिल? कोर्ट ने माना प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत

उमर खालिद और ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों की साजिश में थे शामिल? कोर्ट ने माना प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत

दिल्ली की मेट्रोपोलिटन अदालत ने प्रथम दृष्टया ये माना कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगों की साजिश रची थी। 

उमर खालिद और ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों की साजिश में थे शामिल? कोर्ट ने माना प्रथम दृष्टया पर्याप्त सब- India TV Hindi Image Source : FILE उमर खालिद और ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों की साजिश में थे शामिल? कोर्ट ने माना प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत

नई दिल्ली: दिल्ली की मेट्रोपोलिटन अदालत ने प्रथम दृष्टया ये माना कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगों की साजिश रची थी। अदालत ने इस मामले में दाखिल सप्लिमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए यह माना। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने कहा कि पिछले साल खुजूरी खास इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा में उमर खालिद के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले जिसके आधार पर इस केस में उनपर आगे की कार्रवाई हो रही है।

कोर्ट ने कहा कि एक गवाह का बयान ही इस बात के लिए पर्याप्त था कि खालिद हुसैन कथित तौर पर ताहिर हुसैन के संपर्क में था जो कि इस दंगे का मुख्य साजिशकर्ता है। ताहिर हुसैन पर दंगे कराने के लिए फंडिंग की और भीड़ को लूटपाट और संपत्ति जलाने के लिए उकसाने के आरोप हैं। अभियोजन पक्ष ने चार्जशीट में खालिद पर यह आरोप लगाया है कि वह दिल्ली के विभिन्न इलाकों में दंगे भड़काने की आपराधिक साजिश में सक्रिय तौर पर भागीदार था। 

इस संबंध में गवाह के बयान के मुताबिक उसने आरोपी हुसैन को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों को कथित रूप से पैसे बांटते देखा था। अदालत ने कहा कि बयान में यह कहा गया है कि 8 जनवरी, 2020 को वह हुसैन को शाहीन बाग ले गया था जहां वे एक दफ्तर में दाखिल हुए थे और कुछ समय बाद उन्होंने खालिद सैफी के साथ उमर खालिद को दफ्तर में प्रवेश करते हुए देखा था। 

आपको बता दें कि दिल्ली की अदालत उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे को राष्ट्रीय राजधानी में ‘‘विभाजन के बाद सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगे ’’ बता चुकी है। कोर्ट ने कहा था- यह ‘‘प्रमुख वैश्विक शक्ति’’ बनने की आकांक्षा रखने वाले राष्ट्र की अंतरात्मा में एक ‘‘घाव’’ था। अदालत ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के तीन मामलों में जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणियां की थी। अदालत ने कहा, ‘‘यह सामान्य जानकारी है कि 24 फरवरी, 2020 के दिन उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सें सांप्रदायिक उन्माद की चपेट में आ गये, जिसने विभाजन के दिनों में हुए नरसंहार की याद दिला दी। दंगे जल्द ही जंगल की आग की तरह राजधानी के नये भागों में फैल गये और अधिक से अधिक निर्दोष लोग इसकी चपेट में आ गये।