A
Hindi News दिल्ली सुप्रीम कोर्ट का प्राइवेट स्कूलों को annual charge की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट का प्राइवेट स्कूलों को annual charge की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

शिक्षा निदेशालय ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की जिसमे कहा कि अगर आदेश पर रोक नहीं लगायी जाती है तो बहुत अन्याय होगा क्योंकि सरकार द्वारा ऐसे संस्थानों को 100 प्रतिशत ट्यूशन फी लेने की पहले ही अनुमति दी जा चुकी है।

supreme court refuses to stay delhi high court order on letting private schools take annual charge स- India TV Hindi Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट का प्राइवेट स्कूलों को annual charge की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों (Private Non Aided Schools) को पिछले साल लॉकडाउन (lockdown) के बाद की अवधि के लिए वार्षिक, विकास शुल्क लगाने की अनुमति दी गयी थी।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) की उस दलील से सहमत नहीं हुई कि उसे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा शुल्क वसूली को विनियमित करने का अधिकार है और शुल्क वसूलने के अनुमति के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी जाए।

पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा, "हम इस पर रोक लगाने के इच्छुक नहीं है।"

विकास सिंह ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि "इससे लाखों अभिभावक प्रभावित होंगे।"

हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली सरकार उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष ये सभी दलीलें रख सकती है, क्योंकि यहां याचिका को गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ 12 जुलाई को मामले पर सुनवाई करने वाली है।

न्यायालय ने कहा कि ये सभी दलीलें सरकार वहां रख सकती है, क्योंकि यहां याचिका को गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 31 मई को दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा जारी अप्रैल और अगस्त 2020 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके जरिए वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क के संग्रह पर रोक लगायी गयी थी।

इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की जिसमे कहा कि अगर आदेश पर रोक नहीं लगायी जाती है तो बहुत अन्याय होगा क्योंकि सरकार द्वारा ऐसे संस्थानों को 100 प्रतिशत ट्यूशन फी लेने की पहले ही अनुमति दी जा चुकी है।

सुनवाई शुरू होने पर निजी स्कूलों के संगठनों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और एन के कौल ने दिल्ली सरकार की अपील का विरोध किया। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 31 मई को शीर्ष अदालत के ‘इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य’ के फैसले का संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया था कि स्कूल 15 प्रतिशत की कटौती के साथ वाषिक शुल्क ले सकते हैं और इस मामले में भी यह लागू हुआ।