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Hindi News एजुकेशन ड्रॉपाउट की चुनौती: छात्रों को बिना दस्तावेज मिलेगा स्कूल में दाखिला

ड्रॉपाउट की चुनौती: छात्रों को बिना दस्तावेज मिलेगा स्कूल में दाखिला

कोरोना काल में देश की शिक्षा व्यवस्था के सामने ड्रॉपाउट सबसे बड़ी चुनौती बन कर सामने आया है। अभिभावको के स्थानांतरण के कारण भी बहुत से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। ऐसे में अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय छात्रों को बिना दस्तावेज दाखिल की योजना बना रहा है।

<p>Dropout challenge Students will get admission in school...- India TV Hindi Image Source : FILE Dropout challenge Students will get admission in school without documents

नई दिल्ली| कोरोना काल में देश की शिक्षा व्यवस्था के सामने ड्रॉपाउट सबसे बड़ी चुनौती बन कर सामने आया है। अभिभावको के स्थानांतरण के कारण भी बहुत से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। ऐसे में अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय छात्रों को बिना दस्तावेज दाखिल की योजना बना रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की सचिव अनिता करवाल ने कहा कि, "हमने बिना दस्तावेज के प्रवेश देने की व्यवस्था की है। इसके साथ ही हम वेबसाइट 'प्रबंध' के माध्यम से ड्रॉपाउट बच्चों का सर्वे कर राज्यों से डेटा एकत्रित कर रहे हैं। कोरोना काल में लनिर्ंग लॉस तो कुछ मात्रा में हुआ है परंतु लनिर्ंग गेन भी हुआ है, बच्चे घर में रहकर परिवार के साथ अनेक चीजें सीख रहे हैं।"

सचिव अनिता करवाल ने कहा कि आज दीक्षा, स्वयंप्रभा जैसे माध्यमों से हम सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचे हैं। हम कॉम्पटेन्सी आधारित टेस्ट पर कार्य कर रहे हैं। इससे बच्चों का कौशल आधारित मूल्यांकन किया जा सके ना कि केवल किताबी ज्ञान पर।यह कार्यक्रम स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा व चिकित्सा शिक्षा विषयों पर कोरोना के प्रभाव व इनमें समयानुकूल परिवर्तन किस प्रकार किया जा सकता है इसपर मंथन करने के लिए आयोजित किया गया था। इसमें एनसीईआरटी, एनटीए, सीबीएसई, एआईसीटीई, आईसीएसएसआर जैसे संस्थानों के प्रमुख उपस्थित रहे। साथ ही अनेक विश्वविद्यालय व तकनीकी संस्थानों के प्रमुख मुख्यरूप से उपस्थित थे।

बैठक में विशेष रूप से उपस्थित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक एवं अतिरिक्त शिक्षा सचिव भारत सरकार विनीत जोशी ने कहा कि, "हमें आभास हुआ कि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में किताबों के साथ-साथ अन्य बच्चों के साथ बातचीत भी महत्वपूर्ण है। हमें आने वाले समय में किताब आधारित शिक्षा से बाहर आना होगा। अभी तक परीक्षा व पढ़ाई एक दूसरे के पर्याय बन चुके थे, परंतु कोरोना के बाद हमें समझ आया की पढ़ाई और परीक्षा समानार्थी हैं। वे एक सिक्के के दो पहलू है इन्हें अलग नहीं रखा जा सकता।"

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि निजी क्षेत्र के छोटे विद्यालयों को सहायता करने हेतु कोई ठोस योजना बनाने की आवश्यकता है। आज देश का एक बहुत बड़ा वर्ग शिक्षा से वंचित है। हमें इस प्रकार की शिक्षा व मूल्यांकन पद्धति पर कार्य करना चाहिए, जिससे 'घर ही विद्यालय' के उद्देश्य को साकार किया जा सके।

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