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जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने मनाई अपनी 11वीं वर्षगांठ

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी जेजीयू ने एक वर्चुअल इवेंट के माध्यम से अपनी 11वीं वर्षगांठ मनाई, जो भारत में एक अग्रणी निजी संस्थान के रूप में इसके ग्यारह साल के सफर को चिन्हित करती है।

<p>Jindal Global University celebrates its 11th...- India TV Hindi Image Source : GOOGLE Jindal Global University celebrates its 11th anniversary

नई दिल्ली। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी जेजीयू ने एक वर्चुअल इवेंट के माध्यम से अपनी 11वीं वर्षगांठ मनाई, जो भारत में एक अग्रणी निजी संस्थान के रूप में इसके ग्यारह साल के सफर को चिन्हित करती है। साल 2009 के 30 सितंबर को ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के पहले शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ हुआ था, जिसे हर साल 'विश्वविद्यालय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 30 सितंबर, 2009 में सफर के शुरू होने के दौरान यहां 100 से कुछ अधिक विद्यार्थी, 10 संकाय सदस्य और एक स्कूल था। आज, ग्यारह साल बाद जेजीयू के अपने 10 स्कूल हैं, जिनमें 6,600 से अधिक विद्यार्थी हैं, 725 पूर्णकालिक संकाय सदस्य और 1000 से अधिक कर्मचारी हैं।

इस वर्चुअल इवेंट में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े बड़े-बड़े दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, जिनमें एनएएसी के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान, एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ विश्वविद्यालयों के मुख्य कार्यकारी और महासचिव जोआना न्यूमैन, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति सी. राज कुमार, कुलाधिपति के सलाहकार संजीव साहनी और रजिस्ट्रार दबीरू श्रीधर पटनायक शामिल रहे। समारोह में विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए एक पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया था, जिनके योगदान ने जेजीयू को बुलंदियों के शिखर तक पहुंचाया है।

11वें विश्वविद्यालय दिवस के अवसर पर अध्यक्षीय भाषण राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) के अध्यक्ष वीरेंदर एस. चौहान ने दिया। उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित करने में एक विश्वविद्यालय की स्वायत्तता महत्वपूर्ण है कि यह जिम्मेदार युवा नेताओं की रचना के संदर्भ में महत्वपूर्ण सोच के लिए एक अहम स्थान बन जाता है। मैं समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए जेजीयू की सराहना करता हूं।"

डॉ. चौहान ने कहा, "जेजीयू की अपनी एक प्रभावशाली और मेहनती फैकल्टी है और हर साल इसने औसतन एक नए स्कूल की शुरुआत की है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। विश्वविद्यालय की शिक्षा आपको चीजों से मुक्त कर देती है, आपको कई सारे विकल्प दिए जाते हैं, आपको यहां अपने अधिकारों के बारे में अवगत कराया जाता है और हम में से जिन्हें भी एक अच्छे विश्वविद्यालय में पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, उनके कंधे पर थोड़ी-बहुत जिम्मेदारी तो जरूर है। कोविड-19 ने दुनियाभर के देशों की संरक्षणवादी नीतियों का खुलासा किया है, लेकिन जेजीयू के बहुलवादी सिद्धांत इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे विश्वविद्यालयों को भाईचारे और वैश्विकता को बढ़ावा देने वाले मूल्यों का विकास करना चाहिए। जेजीयू ने एक मिसाल कायम की है,जिसका अनुसरण अन्य विश्वविद्यालय करेंगे।"

इस अवसर पर डॉ. न्यूमैन ने कहा, "पुराने व अपने खुद के विचारों के सामने चुनौतियों की उपस्थिति विश्वविद्यालय की शिक्षा को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है और जेजीयू में महत्वपूर्ण चीजों पर सोचने के कौशल का विकास किया जाता है। विद्यार्थियों को यहां ऐसी कई सारी चीजें सीखने को मिलती हरं।"

उन्होंने आगे कहा, "जेजीयू जैसा विश्वविद्यालय सामाजिक आर्थिक चुनौतियों को हल करने के लिए समाधानों को बढ़ावा देता है और देश के शिक्षा के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जेजीयू के विद्यार्थी जलवायु संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी, भुखमरी जैसी चीजों को समझते हैं, इनके प्रभाव से अवगत हैं, इसलिए जेजीयू एक महत्वपूर्ण शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों से निपटना है।"

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति सी. राज कुमार ने समारोह में कहा, "ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने समाज और मानवता की सेवा करने के लिए एक मिशन की शुरुआत की है और यह सुनिश्चित किया है कि हम समाज को खुद से पहले प्राथमिकता दें। जेजीयू में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों में सोचने की क्षमता का विकास हुआ है, जिससे वे वैश्विक मुद्दों को कई अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखने में सक्षम हैं, ताकि उनका खुद का विकास एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हो।"

उन्होंने आगे कहा, "जेजीयू का साल दर साल विकास और भारत में एक विश्व स्तर के विश्वविद्यालय के रूप में पहचाना जाना, संकाय के जुनून और प्रतिबद्धता का एक वसीयतनामा है, जहां विद्यार्थियों और उनके माता-पिता का हम पर भरोसा और स्टाफ के सदस्यों का समर्पण और योगदान शामिल है।"प्रोफेसर (डॉ.) राज कुमार ने भी उपकारक और संस्थापक चांसलर नवीन जिंदल के योगदान को धन्यवाद दिया, जिन्होंने यह सुनिश्चित करने में मदद की कि विश्वविद्यालय अकादमिक स्वायत्तता और स्थिरता के केंद्र के रूप में कार्य करता है।

उन्होंने कहा, "नवीन जिंदल ने भारत में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की पहल की, जिसकी शुरुआत बेहद साधारण थी। उन्होंने विश्वविद्यालय में सोचने की बेहतर क्षमता का विकास करने और सीखने को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय स्थिरता, परिचालन स्वायत्तता और शैक्षणिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की। सामाजिक कार्य और खुद के विकास के साथ इस बात पर भी जोर दिया गया कि विश्वविद्यालय का संचालन एक गैर-लाभकारी ढंग से हो। हम संस्थान के निर्माण में कुलाधिपति जिंदल के योगदान की गहराई से सराहना करते हैं।"

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