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Paper Leak Case: देश में पेपर लीक न हो, इसके लिए क्या है उपाय? जानें एक्सपर्ट्स की राय

Paper Leak Case- हाल ही में देश के कई राज्यों में पेपर लीक के मामले सामने आए। एक्सपर्ट्स पेपर लीक होने को लेकर कई कारण बता रहे हैं। आइए जानते हैं क्या हो वो कारण?

Paper Leak- India TV Hindi Image Source : INDIA TV पेपर लीक पर एक्सपर्ट्स की राय

देश की राजनीति सरकारी नौकरी का महत्व बढ़ाती है। नौकरी देने का लालच देकर वोट बंटोरती है। लेकिन सत्ता में आते ही नाकाम हो जाती है। पद खाली पड़े रहते हैं लेकिन भर्ती नहीं होती है और जो होती भी है उसे बेईमानी से मुक्ति नहीं मिलती है। कुछ लोगों का दावा है कि सरकार चाहे भी तो सारे पद भर नहीं सकती है क्योंकि सैलरी के लिए जरूरी पैसा जुटाने में उसके पसीने छूट जाएंगे। इसलिए नौकरियों का विवाद सत्ता और राजनीति को सूट करता है।

पेपर लीक के अखिल भारतीय विस्तार को देखते हुए ये भी सिफारिश की जा रही है कि इसके खिलाफ पेपर लीक को संगठित अपराध माना जाए। पेपर लीक को अलग गुनाह का दर्जा दिया जाए। इसके लिए केन्द्रीय कानून बने।पेपरलीक कहीं भी हो लेकिन जांच केन्द्रीय एजेंसी करे। पेपरलीक माफिया की संपत्ति जब्त हो। नौकरी की परीक्षा लेने वाले आयोग में काबिल निष्पक्ष नियुक्ति हो। फूलप्रूफ तकनीकी का इस्तेमाल हो। नौकरियों का केन्द्रीय कैलेंडर बने। यूपीएससी की तरह सभी राज्यों की नौकरी का चयन एक एजेंसी करे। इसके साथ ही सरकार को शिक्षा का मतलब नौकरी की सामाजिक सोच को मिटाने। रोजगार के लिए कौशल का विकास करने पर जोर देना चाहिए।

पेपल लीक की समस्या पर एक्सपर्ट्स के सुझाव

भर्ती करने वाले विभाग और परीक्षा लेने वाली कंपनी के बीच तालमेल की कमी है। पेपरलीक समस्या के सुधार से जुड़े लोग विभागों के बीच क्वार्डीडेशन की कमी को पेपर लीक की बड़ी वजह बनते हैं। पेपल लीक की समस्या पर हम जिन एक्सपर्ट्स से मिले उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या क्या सुझाव दिए हैं। ये भी आपको जानना जरूरी है। 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चयन आयोग में योग्य चेयरमैन,मेंबर हों। चयन आयोग में पॉलिटिकल नियुक्ति पर पाबंदी लगे। एग्जाम कराने वाले ईमानदार,नॉन पॉलिटिकल हो। एक्सपर्ट्स ने आगे कहा कि डिजिटल सिस्टम पर अंधा विश्वास नहीं करना चाहिए। शिक्षा का मकसद सिर्फ नौकरी पाना नहीं होना चाहिए। शिक्षा का मतलब कौशल विकास होना चाहिए।

एडवांस सालाना कैलेंडर बनना चाहिए

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नौकरी का एडवांस सालाना कैलेंडर बनना चाहिए। वहीं परीक्षा सेंटर एकांत व असुरक्षित जगह नहीं होना चाहिए। परीक्षा देने वाले,परीक्षा लेने वाले दोनों ईमानदार हों। चयनकर्ता पर आम लोगों का विश्वास होना चाहिए। नौकरी देने का तरीका पारदर्शी,समयबद्ध होना चाहिए ताकि लोग भरोसा कर सकें। आधार और बायोमैट्रिक्स का ज्यादा इस्तेमाल हो। स्टूडेंट के नाम,रोल नंबर पर कोड आधारित एग्जाम पेपर होने चाहिए। परीक्षा का पेपर 1 घंटे पहले एग्जाम सेंटर में छपे ताकि नकल माफिया को मौका न मिल सके। 

कानून में भी होनी चाहिए तब्दीली

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कानून में भी तब्दीली होनी चाहिए। पेपर लीक को नकल से अपराध माना जाए। नकल माफिया की संपत्ति,धन जब्त किया जाए। पेपर लीक केस में तेजी से सजा दी जाए। बहुस्तरीय एग्जाम प्रणाली बनाई जाए। किसी भी पोस्ट के लिए साल में एक बार नहीं कई चरणों में कई बार परीक्षा हो और एग्रीगेट स्कोर पर सेलेक्शन हो। पेपर सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में ही छपे ताकि नकल माफिया सेंध न लगा सके। एग्जाम कराने वाली एजेंसी की कड़ी जांच होनी चाहिए, जिससे पेपरलीक न हों। साथ ही एग्जाम कराने वाले कमीशन की जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए

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