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Hindi News एजुकेशन कोटा में हो रही आत्महत्याओं को रोकने के लिए सरकार का बड़ा कदम, अब इन लोगों को दी गई छात्रों की जिम्मेदारी

कोटा में हो रही आत्महत्याओं को रोकने के लिए सरकार का बड़ा कदम, अब इन लोगों को दी गई छात्रों की जिम्मेदारी

कोटा में हो रही आत्महत्याओं को रोकने के लिए सरकार ने एक पहल की है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि छात्रों को काफी मदद मिलेगी। बता दें कि साल 2023 में 23 छात्रों ने आत्महत्या की है, जिसे लेकर सरकार चिंतित है।

Kota, suicide- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO कोटा में आत्महत्याओं को रोकने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

राजस्थान के कोटा जिले में बीते माह अगस्त में 22 छात्रों ने सुसाइड कर लिया, जिसके बाद से राज्य सरकार इस ओर बेहद सतर्क हो गई है। सरकार छात्रों के सुसाइड मामलों को देखते हुए कई जरूरी कदम उठाने जा रही है। सरकार ने हाल ही में हॉस्टल और पीजी वार्डन से लेकर टिफिन सर्विस देने वालों को छात्रों का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है। जानकारी दे दें कि JEE और NEET जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर साल 2.5 लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं। साल 2023 में छात्रों की आत्महत्या मामलों की संख्या सबसे अधिक सामने आई। अब तक 22 छात्रों ने सुसाइड किया है, जबकि पिछले साल, ये आंकड़ा 15 था। इन्हीं बढ़ते आकंड़ों को रोकने के लिए वार्डन और अन्य लोगों को 'दरवाजे पे दस्तक'अभियान छात्रों की देखरेख करने की जिम्मेदारी दी गई है।

ऐसे संकेत तो हो जाएं अलर्ट! 

छात्र कोटा आते ही यहां के बिजी शेड्यूल, तगड़ा कम्पटिशन, मेंटल प्रेशन, माता-पिता की उम्मीदों का बोझ और घर की याद आने लगती है। एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने बताया कि अगर कोई छात्र बार-बार क्लास बंक कर रहा है या खाना नहीं खा रहा है, तो कुछ तो बात होगी। हम इन बच्चों की पहचान करनी है, इससे पहले कि वे अवसाद से घिर जाएं, उन्हें सलाह देना है। हमने इन्हीं सब को देखते हुए एक अभियान शुरू किया है जिसमें वार्डन, मेस कर्मचारी और टिफिन सर्विस वाले हमें जानकारी दे सकते हैं।

'दरवाजे पे दस्तक' कैंपेन 

कोटा के एएसपी ने आगे कहा कि वार्डन को 'दरवाजे पे दस्तक' अभियान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, शहर की पुलिस ने मेस स्टाफ और टिफिन वालों से अपील की है कि अगर कोई छात्र बार-बार मेस नहीं आ है और खाना छोड़ रहा या टिफिन बिना खाए मिले तो वे हमें सूचित करें। एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने आगे बताया हम वार्डन को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे रात के करीब 11 बजे हर छात्र के दरवाजे पर दस्तक दें, उनसे पूछें कि क्या वे ठीक हैं, उनकी गतिविधियों पर गौर करें और उन पर नजर बनाए रखें। यह सुनिश्चित करें कि किसी छात्र में तनाव, अवसाद या असामान्य गतिविधि के कोई लक्षण नहीं हैं। इसके पीछे तर्क देते हुए एएसपी ने कहा कि कोचिंग के बाद छात्र अपना अधिकतर समय हॉस्टल में ही बिताते हैं और इसलिए वार्डन उन पर ध्यान देने वाला पहला व्यक्ति होना चाहिए।' हाल ही में जिला प्रशासन ने आत्महत्याओं के मद्देनजर कोचिंग संस्थानों को अगले दो महीनों के लिए नीट और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए रेगुलर टेस्ट आयोजित करने से रोक दिया है। साथ ही इसी कड़ी में अधिकारियों ने हॉस्टल में छात्रों को अपनी जान लेने से रोकने के लिए छत के पंखों पर एक स्प्रिंग डिवाइस लगाने का भी आदेश जारी किया था।

(इनपुट-पीटीआई)

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