नई दिल्ली। दिल्ली के प्रत्येक जिले में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्य नवंबर के महीने में कम से कम ऐसे 250 छात्रों की तलाश करेंगे, जिन्होंने स्कूलों में दाखिला लिया है, लेकिन वे स्कूल नहीं आ रहे हैं और स्कूल को उनके बारे में पता नहीं है। इसके अलावा, ये सदस्य स्कूलों में कम से कम 100 बच्चों को दाखिला दिलाने में भी मदद करेंगे। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से आयोजित स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) सेल के सदस्यों का दो-स्तरीय अनुस्थापन सत्र पूरा हो गया है। इस सत्र का उद्देश्य सामुदायिक सहभागिता और अभिभावकों की भागीदारी को बढ़ाकर सरकारी स्कूलों के प्रबंधन का विकेंद्रीकरण करना है, ताकि जवाबदेही और प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके।
बैठक में एसएमसी सेल का सदस्य होने के नाते शिक्षा निदेशालय, नगर निगमों और गैर सरकारी संगठन साझा और सामथ्र्य के प्रतिनिधियों ने अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर चर्चा की। मासिक लक्ष्यों के साथ कार्रवाई की एक स्पष्ट योजना बनाई।सत्र के दौरान कई गतिविधियों के माध्यम से चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया और एसएमसी सेल के कार्य के संभावित प्रभावों पर चर्चा की गई।
इससे पहले शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 98 फीसदी रिजल्ट आने में एसएमसी का बड़ा योगदान है। वर्ष 2015 में जब मैं स्कूलों में जाता था, तो प्रिंसिपल बताते थे कि हर काम के लिए सरकार पर निर्भर होना पड़ता है। किसी विषय के शिक्षक की कमी हो या स्कूल परिसर की घास कटवानी हो, हर चीज की फाइल डिप्टी डायरेक्टर के पास घूमती रहती थी। लेकिन हमने ऐसे सभी फैसलों का अधिकार प्रिंसिपल को दे दिया।"
दिल्ली सरकार के मुताबिक, "हर स्कूल एक अलग सरकार है, जिसके मुखिया प्रिंसिपल हैं और एसएमसी उनकी कैबिनेट है। आप स्वयं संसाधन जुटाएं, और स्कूल का विकास करें। सरकार से मिले संसाधन के अलावा समाज से भी योगदान लेकर स्कूल का विकास करें।"
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