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Hindi News एजुकेशन स्कूल ड्रॉपआउट रोकने के लिए देशभर में होंगे इनोवेटिव शिक्षा केंद्र

स्कूल ड्रॉपआउट रोकने के लिए देशभर में होंगे इनोवेटिव शिक्षा केंद्र

देश में स्कूली छात्रों द्वारा पढ़ाई बीच में ही छोड़ देना सरकार और सिविल सोसायटी के लिए एक चिंता का विषय है। छात्रों की पढ़ाई बीच में न छूटे इसके लिए अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से एक वैकल्पिक व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के जरिए ऐसे छात्रों को फिर से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, जो विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक कारणों से स्कूल ड्रॉपआउट करते हैं।

<p>school dropouts</p>- India TV Hindi Image Source : PTI school dropouts

नई दिल्ली। देश में स्कूली छात्रों द्वारा पढ़ाई बीच में ही छोड़ देना सरकार और सिविल सोसायटी के लिए एक चिंता का विषय है। छात्रों की पढ़ाई बीच में न छूटे इसके लिए अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से एक वैकल्पिक व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के जरिए ऐसे छात्रों को फिर से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, जो विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक कारणों से स्कूल ड्रॉपआउट करते हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "नई शिक्षा नीति के तहत विद्यालयों में छात्रों की ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए शिक्षा के वैकल्पिक मॉडल को अपनाया जाएगा। इसके लिए इनोवेटिव शिक्षा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ड्रॉपआउट छात्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए सिविल सोसायटी की मदद ली जाएगी। सिविल सोसायटी की मदद से इनोवेटिव शिक्षा केंद्र ड्रॉपआउट छात्रों को मुख्यधारा में लाने में कारगर होंगे।"

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन और स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण भी हजारों छात्रों द्वारा पढ़ाई बीच में ही छोड़े जाने की आशंका जताई जा रही है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य लाभ एवं शिक्षा के लिए आकर्षित करने के लिए काउंसिलिंग भी की जा रही है।

छात्रों को मानसिक तनाव से उबारने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने कोविड-19 के दौरान और उसके बाद छात्रों, शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए मनोवैज्ञानिक एवं अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा संपर्क, परामर्श एवं मार्गदर्शन के लिए इंटरएक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफॉर्म भी शुरू किए हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने मनोदर्पण नामक एक पहल भी की है। इसमें कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद छात्रों, शिक्षकों और उनके परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण हेतु मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की जा रही है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों और सरोकारों पर ध्यान देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है।

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक मनोसामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु काउंसलिंग सेवा है। ऑनलाइन संसाधनों और हेल्पलाइन के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिए एक कार्यकारी समूह का गठन किया गया है। इसके सदस्यों के रूप में शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक मुद्दों के विशेषज्ञ हैं।

शिक्षा मंत्रालय की वेब वेबसाइट पर छात्रों शिक्षकों और स्कूल प्रणालियों तथा विश्वविद्यालयों के लिए एडवाइजरी और व्यावहारिक सुझाव है। इसमें पोस्टर, वीडियो, मनोसामाजिक सहायता के लिए क्या करें और क्या न करें एवं अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और ऑनलाइन प्रश्न प्रणाली दी गई है।

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