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Hindi News एजुकेशन दिल्ली विश्वविद्यालय : कोरोना से अबतक करीब 50 प्रोफेसर की मौत, छात्र नहीं चाहते एग्जाम

दिल्ली विश्वविद्यालय : कोरोना से अबतक करीब 50 प्रोफेसर की मौत, छात्र नहीं चाहते एग्जाम

दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजो में पढ़ाने वाले 50 से अधिक विश्व विख्यात प्रोफेसर्स व शिक्षक कोरोना के कारण जान गंवा चुके हैं। ऐसे में अब कई छात्र, छात्र संगठन एवं शिक्षक समूह फिलहाल एग्जाम नहीं चाहते।

<p>University of Delhi Nearly 50 professors dead from...- India TV Hindi Image Source : FILE University of Delhi Nearly 50 professors dead from Corona, students do not want exam

नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजो में पढ़ाने वाले 50 से अधिक विश्व विख्यात प्रोफेसर्स व शिक्षक कोरोना के कारण जान गंवा चुके हैं। ऐसे में अब कई छात्र, छात्र संगठन एवं शिक्षक समूह फिलहाल एग्जाम नहीं चाहते। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंतिम वर्ष के छात्रों हेतु परीक्षा की तारीख '7 जून' तय कर दी है। छात्रों का कहना है कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष अपनी बात रखेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से परीक्षाएं स्थगित करने की मांग पहले ही की जा चुकी है।

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण से मरने वालों में कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोफेसर है। डीटीए के मुताबिक इनमें प्रोफेसर विनय गुप्ता ( फिजिक्स डिपार्टमेंट ) प्रोफेसर वीणा कुकरेजा ( राजनीति विज्ञान विभाग ) प्रोफेसर प्रतीक चौधरी ( संगीत विभाग ) प्रोफेसर एस के गुप्ता ( विधि संकाय ) के अलावा सेवानिवृत्त शिक्षकों में डॉ. नरेंद्र कोहली ,डॉ. नरेंद्र मोहन ,डॉ. के. डी. शर्मा प्रोफेसर भिक्षु सत्यपाल ,डॉ.एस.एस. राणा, प्रोफेसर देबू चौधरी, डॉ. रमेश उपाध्याय के और राजधानी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. बी. एस. यादव शामिल है।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी डॉ हंसराज सुमन ने बताया कि मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की है। उनका कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजो में पढ़ाने वाले 50 से अधिक शिक्षकों की अभी तक कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। इनमें 28 स्थायी शिक्षक, 16 सेवानिवृत्त शिक्षक व 4 एडहॉक टीचर्स शामिल है ।

दिल्ली के कॉलेजों के जिन शिक्षकों को कोरोना के कारण जान गंवानी पड़ी उनमें डॉ. विक्रम सिंह ( देशबंधु कॉलेज ), डॉ. सज्जाद मेहंदी हुसैनी ( सत्यवती कॉलेज ), डॉ.राकेश गुप्ता ( इंदिरा गांधी फिजिकल कॉलेज ), डॉ. देवेंद्र कुमार ( रामलाल आनंद कॉलेज ), डॉ. रविभूषण प्रसाद ( आर्यभट्ट कॉलेज ), चंद्र शेखर ( देशबंधु कॉलेज ), डॉ. धर्मेंद्र मल्लिक ( देशबंधु कॉलेज ), राजश्री कलिता ( श्यामलाल कॉलेज ) व जाकिर हुसैन कॉलेज के डॉ. बुरहान शेख शामिल हैं।

डॉ सुमन ने बताया है कि फरवरी, मार्च में कोरोना से पूर्व यदि शिक्षकों को अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो जाती तो कुछ शिक्षकों को अवश्य बचाया जा सकता था। उनका कहना है कि जिस तरह से 20 अप्रैल और 7 मई तक लोगों ने बेहद डरावना मंजर झेला है, इस भयावह स्थिति के तुरंत बाद अब छात्र एवं शिक्षक फिलहाल परीक्षा करवाने और परीक्षा देने के लिए मानसिक रूप से सक्षम नहीं हैं। ऐसी स्थिति में परीक्षा को जुलाई तक स्थगित कर देना चाहिए।

दूसरी ओर, डीन एग्जामिनेशंस प्रोफेसर डीएस रावत ने आईएएनएस से कहा कि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा 7 जून से शुरू होंगी। पहले अंतिम वर्ष के छात्रों की यह परीक्षा 1 जून से होनी थी। परीक्षा, ओबीई यानी ओपन बुक एग्जाम के जरिए ऑनलाइन माध्यमों से होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संगठन सीवाईएसएस के अध्यक्ष चंद्रमणि देव ने भी इन परीक्षाओं को तुरंत स्थगित करने की मांग की है। चंद्रमणि ने कहा कि कि जहां एक और बड़ी संख्या में कोरोना के कारण शिक्षकों की मृत्यु हुई है, वहीं दूसरी ओर अभी भी सैकड़ों छात्र कोरोना पॉजिटिव हैं। कई छात्र दिल्ली से बाहर अपने पैतृक स्थान पर हैं। जहां उनके पास इंटरनेट की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में अभी यह परीक्षाएं लेना न्याय उचित नहीं है।

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