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Hindi News चुनाव 2024 लोकसभा चुनाव 2019 मुस्लिम मोहल्लों में अब भी कायम है मोदी लहर, जिनकी ज़िंदगी बदली, उन मुसलमानों की आवाज़

मुस्लिम मोहल्लों में अब भी कायम है मोदी लहर, जिनकी ज़िंदगी बदली, उन मुसलमानों की आवाज़

जामा मस्जिद का इलाका चांदनी चौक लोकसभा सीट के तहत आता है। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में चादनी चौक सबसे छोटी है। इस सीट पर 12 मई को वोटिंग होनी है।

मुस्लिम मोहल्लों में अब भी कायम है मोदी लहर- India TV Hindi मुस्लिम मोहल्लों में अब भी कायम है मोदी लहर

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी चीख-चीखकर उनकी खामियां गिना रहे हैं तो देश भर के मुसलमान पीएम मोदी के 5 साल के काम गिना रहे हैं। जब नरेंद्र मोदी के राजनीतिक दुश्मन उन्हें मुस्लिम विरोधी बताकर गालियों की बौछार करते हैं तो एक सवाल उछता है कि पीएम मोदी पर मुसलमानों के मन में क्या वाकई इतना क्रोध है, जिसका फायदा उठाने के लिए चंद नेताओं ने देश के पीएम के लिए गालियों का शब्दकोष तैयार कर लिया है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए इंडिया टीवी ने देश के अलग अलग शहरों की मस्जिदों का रुख किया। सबसे पहले इंडिया टीवी पहुंचा दिल्ली के जामा मस्जिद में।

जामा मस्जिद का इलाका चांदनी चौक लोकसभा सीट के तहत आता है। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में चादनी चौक सबसे छोटी है। इस सीट पर 12 मई को वोटिंग होनी है। 1956 में वजूद में आई दिल्ली की चांदनी चौक सीट आजादी के बाद से ही काफी अहम मानी जाती रही है। सिर्फ दो बार छोड़ दें तो चांदनी चौक से जीत हासिल करने वाले सांसद की पार्टी देश में सरकार बनाती रही है। जामा मस्जिद, लालकिला, फतेहपुरी मस्जिद के साथ साथ चांदनी चौक सीट को एक और चीज़ जो खास बनाती है, वो है यहां का जातीय समीकरण।

चांदनी चौक में करीब 13 लाख 92 हज़ार वोटर हैं जिनमें मुसलमान बड़ी तादाद में हैं और मुकाबला त्रिकोणीय है। 1956 से हुए पंद्रह चुनावों में नौ बार इस सीट से कांग्रेस जीती और तीन बार बीजेपी। इस बार मुसलमान किसके साथ है, अब समझना ज़रूरी है। इन सवालों का जवाब इंडिया टीवी को 70 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले ओखला के जामिया नगर तक ले गया, जहां बटला हाउस के ज़ख्म चुनाव के दौरान ताज़ा हो जाते हैं।

यहां के मुसलमानों से बात करने पर पता चला कि वो अब 11 साल पहले के बटला हाउस कांड को भुलाकर आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन जिस बटला हाउस कांड का एक सिरा उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ से जुड़ा था, वहां का मुसलमान क्या सोच रहा है? क्या आज़मगढ़ भी यही सोचता है? यहां पहुंचने पर पता चला कि यहां के मुसलमानों को फिलहाल महागठबंधन पर भरोसा है लेकिन यादव और अनुसूचित जाति के वोटर भी आजमगढ़ की तकदीर का फैसला करते हैं।

अल्लामा शिबली और कैफी आज़मी के शहर में इस बार बीजेपी और महागठबंधन में सीधी टक्कर है। यूपी की हाईप्रोफाइल आज़मगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बीजेपी के दिनेश लाल यादव यानि भोजपुरी फिल्म स्टार निरहुआ मैदान में हैं। कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट नहीं उतारा है। देश के दूसरे शहरों में क्या सोंचते हैं मुसलमान, जानने के लिए देखें वीडियो...