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Hindi News चुनाव 2024 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 Madhya Pradesh Assembly Elections 2018: शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी सीट से भरा नामांकन पत्र, ये है एमपी के 'मामा' का चुनावी सफर

Madhya Pradesh Assembly Elections 2018: शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी सीट से भरा नामांकन पत्र, ये है एमपी के 'मामा' का चुनावी सफर

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले की अपनी परंपरागत बुधनी विधानसभा सीट से सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।

<p>Shivraj Singh Chauhan</p>- India TV Hindi Shivraj Singh Chauhan

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले की अपनी परंपरागत बुधनी विधानसभा सीट से सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। वह इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं और अब पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ उनकी पत्नी साधना सिंह, बेटा कुनाल, उनके चुनावी एजेंट रमाकांत भार्गव एवं वकील श्रेय राज सक्सेना मौजूद थे। 

पांच मार्च 1959 को जन्मे चौहान ने अपना पहला चुनाव वर्ष 1990 में बुधनी से ही जीता था और विधायक बने थे। इसके बाद वर्ष 2006 के उपचुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते इस सीट पर जीते थे और फिर वर्ष 2008 एवं वर्ष 2013 के चुनाव में जीत हासिल कर इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह वर्ष 2005 से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और लगातार 13 साल तक मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का उन्होंने इतिहास रचा है। 

पांच बार रहे सांसद 

इसके अलावा, चौहान मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से पांच बार लगातार सांसद भी चुने गये। वह वर्ष 1991 में हुए उपचुनाव में पहली बार विदिशा सीट से सांसद बने थे। तब यह सीट वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा खाली की गई थी, क्योंकि वाजपेयी वर्ष 1991 के आम चुनाव में विदिशा एवं लखनऊ की दो सीटों से लोकसभा चुनाव जीते थे। इसक बाद चौहान वर्ष 1996, 1998, 1999 एवं 2004 में विदिशा से सांसद बने। 

दिग्‍विजय के खिलाफ हारे चुनाव 

वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में चौहान प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (कांग्रेस) के खिलाफ गुना जिले की राघौगढ़ सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन इन चुनावों में भाजपा को प्रदेश में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी वह (चौहान) हार गये थे। हालांकि, बाद में उमा भारती एवं बाबूलाल गौर सहित अन्य पार्टी नेताओं में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में अंदरूनी कलह हो गयी, जिसका फायदा चौहान को मिला और पार्टी ने बाबूलाल गौर को हटाकर उन्हें 29 नवंबर 2005 में मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया।