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Hindi News चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज BJP ने दिहाड़ी मजदूर की पत्नी को बनाया अपना प्रत्याशी, पति के बैंक खाते में जमा हैं सिर्फ 1561 रुपए

BJP ने दिहाड़ी मजदूर की पत्नी को बनाया अपना प्रत्याशी, पति के बैंक खाते में जमा हैं सिर्फ 1561 रुपए

चंदना के पति श्रबण हालांकि पहले फारवर्ड ब्लॉक के सदस्य थे लेकिन उनका कहना है कि 2011 में जब तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी तो टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उनका उत्पीड़न किया जिसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए।

<p>चंदना की कुल चल...- India TV Hindi Image Source : INDIA TV चंदना की कुल चल संपत्ति 31000 रुपए के करीब है

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बांकुरा जिले की सल्तोरा विधानसभा सीट से एक ऐसी महिला प्रत्याशी को उतारा है जिनका नाम काफी चर्चा में है। महिला का नाम चंदना बाउरी है और उनके पति एक दिहाड़ी मजदूर हैं जो रोजाना सिर्फ 400 रुपए कमा पाते हैं। चंदना बाउरी ने सल्तोरा सीट से अपना नामांकन भरते समय चुनाव आयोग को जो शपथपत्र दिया है उसके अनुसार उसके खुद के बैंक खाते में सिर्फ 6335 रुपए हैं जबकि उनके पति के खाते में महज 1561 रुपए जमा हैं। 

चंदना बाउरी के शपथपत्र के अनुसार उनकी कुल अचल संपत्ति 31985 रुपए है जबकि उनके पति श्रबण की कुल अचल संपत्ति 30311 रुपए है। भाजपा प्रत्याशी चंदना या उनके पति किसी तरह की कृषि जमीन के मालिक नहीं हैं और दिहाड़ी मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं। जब चंदना के पति मजदूरी के लिए जाते हैं तो वह भी अपने पति के साथ हाथ बंटाती हैं। हालांकि चंदना अपनी पति से ज्यादा पढ़ी हुई है, उनके पति सिर्फ आठवीं पास हैं जबकि चंदना खुद 12वीं तक पढ़ी है। अन्य संपत्ति के नाम पर उनके पास 3 बकरी, 3 गाय और एक झोंपड़ी है। दोनों पति पत्नी मनरेगा कार्ड होल्डर भी हैं। 

चंदना और उनके पति को पिछले साल ही  प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए 60000 रुपए की पहलि किश्त मिली है जिसकी सहायता से दोनों ने दो कमरों वाला पक्का मकान बनाया है। चंदना हालांकि भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ सदस्य हैं लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सल्तोरा सीट से जब उनके नाम की घोषणा की तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी, उनके पड़ौसियों ने उन्हें बताया कि भाजपा ने उन्हें सल्तोरा सीट से प्रत्याशी घोषित किया हुआ है। 

चंदना के पति श्रबण हालांकि पहले फारवर्ड ब्लॉक के सदस्य थे लेकिन उनका कहना है कि 2011 में जब तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी तो टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उनका उत्पीड़न किया जिसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए।