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Hindi News चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज मुस्लिम बहुल सीट पर क्यों हारी AAP? क्या मरकज बना वजह

मुस्लिम बहुल सीट पर क्यों हारी AAP? क्या मरकज बना वजह

दिल्ली नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर जीत हासिल की लेकिन मुस्लिम बहुल सीलमपुर इलाके की चौहान बांगर सीट हार का सामना करना पड़ा। यहां कांग्रेस के हाथों उसे मात खानी पड़ी है।

Why AAP lose at muslim majority seat in mcd bypoll seelampur Nizamuddin Markaz । मुस्लिम बहुल सीट पर- India TV Hindi Image Source : PTI लोगों को संबोधित करते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर जीत हासिल की लेकिन मुस्लिम बहुल सीलमपुर इलाके की चौहान बांगर सीट हार का सामना करना पड़ा। यहां कांग्रेस के हाथों उसे मात खानी पड़ी है। सीलमपुर में मुस्लिम समुदाय की आबादी ज्यादा है। यहां AAP की हार का मतलब है कि मुस्लिम समुदाय ने केजरीवाल से दूरी बना ली है। लेकिन, इस दूरी के पीछे कारण क्या है? क्या तबलीगी जमात के मरकज के खिलाफ लिया गया एक्शन या पिछले साल इलाके में हुए दंगे?

सीलमपुर की चौहान बांगर सीट पर AAP ने अपने पूर्व विधायक हाजी इशराक खान को उतारा था और कांग्रेस ने पूर्व विधायक चौधरी मतीन के बेटे जुबैर चौधरी को खड़ा किया था। वहीं, बीजेपी ने मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद नजीर अंसारी को उम्मीदवार बनाया था। AAP ने इस सीट पर मुस्लिम समुदाय को साधने की पूरी कोशिश की थी। AAP ने यहां अपने सबसे विश्वसनीय और फॉयर ब्रिगेड नेता विधायक अमनातनुल्लह खान को लगा रखा था लेकिन बावदूज इसके, AAP को मुस्लिमों की नाराजगी झेलनी पड़ी।

कांग्रेस प्रत्याशी जुबैर चौधरी ने AAP प्रत्याशी हाजी इशराक खान को 10642 वोटों से हराया है। AAP की यह हार कई अहम सवाल खड़े करती है। क्योंकि, सीएए-एनआरसी आंदोलन के बाद भी मुस्लिमों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल का साथ दिया जबकि वह ध्रुवीकरण के डर से मुस्लिम इलाके में प्रचार करने भी नहीं गए थे। उनकी पार्टी को मुस्लिमों का 80 फीसदी वोट मिला था और पांच मुस्लिम विधायक जीते थे। वहीं, एमसीडी के उपचुनाव में मुस्लिम अब केजरीवाल के दूर होते नजर आए।

गौरतलब है कि पिछले साल इसी इलाके में दंगे हुए थे। माना जा रहा है कि इसी के बाद से मुस्लिम वोटर, AAP सरकार से नाराज है। लेकिन, इस नाराजरी की सिर्फ यही बजह नहीं मानी जा रही है। माना यह भी जा रहा है कि कोरोना काल में तबलीगी जमात और मरकज के खिलाफ केजरीवाल सरकार द्वारा लिए गए एक्शन भी मुस्लिम समुदाय में नाराजगी का कारण बने हैं। केजरीवाल ने तबलीगी जमात के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया था। इसके अलावा दंगों के दौरान केजरीवाल का मौन रहना भी मुस्लिमों की नाराजगी की वजह हो सकता है।

इन उपचुनावों में केजरीवाल को घेरने के लिए कांग्रेस ने दंगों और जमात को मुख्य मुद्दे के तौर पर उठाया था। अलका लांबा ने प्रचार में स्थानीय लोगों की जरूरत के वक्त केजरीवाल पर गायब रहने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, अलका लांबा ने महामारी कोरोना के नाम पर तबलीगी जमात के मरकज को बदनाम करने और एफआईआर दर्ज कराने की बात करके एक धर्म विशेष के खिलाफ माहौल खराब करने वाला भी बताया था। इतना ही नहीं कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में जमात के खिलाफ लिए एक्शन को लेकर केजरीवाल के विरोध में कई कार्यक्रम भी किए थे।

AAP ने यहां अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। विधायक अमानतउल्ला खान, मुस्लिम समुदाय के लोगों से घर-घर जाकर वोट मांग रहे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह तक ने पूरे इलाके में चुनाव प्रचार किया था। लेकिन, वह मुस्लिम समुदाय का भरोसा नहीं जीत सके। ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली का मुस्लिम वोटर अब केजरीवाल से टूटकर वापस कांग्रेस के पास आ रहा है। अगर ऐसा है तो यह AAP और केजरीवाल के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात है।