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हर्षवर्धन कपूर भी चाहते हैं 'मिर्जिया' की तरह प्यार में पड़ना

अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर आगामी फिल्म ‘मिर्जिया’ से बॉलीवुड में कदम रखने जा रहे हैं। फिल्म का ट्रेलर पहले ही दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो चुका है।

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नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर आगामी फिल्म ‘मिर्जिया’ से बॉलीवुड में कदम रखने जा रहे हैं। फिल्म का ट्रेलर पहले ही दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो चुका है। इसमें उनके सयामी खेर भी मुख्य किरदार निभाती हुई नजर आ रही हैं। हर्षवर्धन अपनी पहली ही फिल्म में दोहरी भूमिका निभा रहे हैं, जिसे वह काफी चुनौतीपूर्ण भी मानते हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी यह फिल्म पंजाबी लोककथा 'मिर्जा-साहिबान' से प्रेरित है, लेकिन उससे बिल्कुल जुदा भी है।

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हर्षवर्धन ने विशेष बातचीत में कहा कि यह फिल्म 'मिर्जा-साहिबान' से अलग है। उन्होंने कहा, "राकेश सर ने मिर्जा-साहिबान की कहानी से प्रेरित होकर यह फिल्म बनाई है, लेकिन इसे आज के जमाने के हिसाब से पेश किया गया है। यह उस कहानी से एकदम अलग है, जो आपने पढ़ी या सुनी होगी।"

किसी मशहूर हस्ती के बच्चों की बॉलीवुड में एंट्री अमूमन आसान ही होती है, लेकिन हर्षवर्धन की राय इससे अलग है। उन्होंने इस फिल्म से जुड़ने की कहानी बताई, "मैं 2008 में फिल्म 'दिल्ली-6' के सेट पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा से पहली बार मिला था। उन्होंने 2011 में मुझे बताया था कि गुलजार साहब 'मिर्जिया' की कहानी लिख रहे हैं। उन्होंने मुझे फिल्म में मुख्य किरदार निभाने को कहा, लेकिन इससे पहले मैंने खुद को इस किरदार के लिए तैयार किया और 2013 में यह फिल्म करने का फैसला किया तो यह इतना आसान नहीं था।"

हर्षवर्धन ने इस फिल्म के लिए काफी पसीना बहाया है। उन्होंने घुड़सवारी से लेकर पोलो खेलने तक तमाम तरह का प्रशिक्षण लिया है। इस एक दौर को वह किस तरह बयां करते हैं, इसके बारे में वह कहते हैं, "मैंने 18 महीने के लिए घुड़सवारी की। तीर चलाना, पोलो खेलना, रेत पर मोटरसाइकिल चलनाना सीखा। यह सब आसान नहीं था। इस फिल्म में मेरे दो किरदार भी हैं। मैंने खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार किया।"

हर्षवर्धन अपनी पहली ही फिल्म में दोहरी भूमिका के अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं, "फिल्म में मेरे दोनों किरदार एकदम जुदा हैं। यह यकीनन चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेरे दिमाग में यही था कि अगर मैं इसे सही से निभा पाऊंगा तो इसे याद किया जाएगा। राकेश सर ने हमें शुरू में ही समझा दिया था कि यह फिल्म इस कहानी पर आधारित है, लेकिन उससे पूरी तरह जुदा है। इसलिए हमने मिर्जा-साहिबान को ज्यादा नहीं पढ़ा।"

फिल्म की कहानी गुलजार ने लिखी है, इसलिए इसमें लय होने की बात कही जा रही है। इसके बारे में हर्षवर्धन कहते हैं, "गुलजार साहब ने कहानी लिखी है तो यकीनन यह फिल्म कविता की तरह है। मिर्जिया एक संगीतमय फिल्म है, जिसकी कहानी संगीत के जरिए आगे बढ़ती है।"

वह कहते हैं, "मैं मिर्जिया की तरह प्यार में पड़ना चाहता हूं। यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह आपको प्यार करना सीखाती है।" हर्षवर्धन मिर्जिया के बाद दो और फिल्में कर रहे हैं और वह अगले साल तक फिल्मों में ही व्यस्त हैं।

यह पूछने पर कि वह किसी फिल्म को साइन करने से पहले किस चीज को अधिक महत्व देते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मेरे लिए फिल्म का निर्देशक कौन है, यह मायने रखता है। क्योंकि एक अच्छा निर्देशक औसत या खराब स्क्रिप्ट में जान फूंकने की हिम्मत रखता है। लेकिन अच्छी कहानी भी अच्छे निर्देशक के बगैर दम तोड़ देती है।" हर्षवर्धन कहते हैं कि मिर्जिया लोगों को प्यार करना सीखाएगी, इसलिए यह दर्शकों को जरूर खींचने में कामयाब होगी।

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