पणजी: फिल्मकार सुधीर मिश्रा ने देश में फिल्मों पर जरूरत से ज्यादा सेंसरशिप की बहस में कूदते हुए कहा है कि भारतीय दर्शकों को यह बताने की जरूरत नहीं है कि वे क्या देखें और क्या नहीं। सेंसर बोर्ड द्वारा जेम्स बांड श्रृंखला की नई फिल्म स्पेक्टर के चुंबन दृश्यों की लंबाई काटने के बाद उसके अध्यक्ष पहलाज निहलानी की आलोचना हो रही है।
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी, चमेली, ये साली जिंदगी जैसी फिल्मों के निर्देशक ने गोवा इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल 2015 (IFFI) में कहा कि दर्शकों को हल्के में लेने की आदत रही है और समय आ गया है कि उन्हें उनकी पसंद के साथ जीने का अधिकार मिले।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय दर्शक हर तरह की फिल्मों के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा, "हम पूरी तरह तैयार हैं, सेंसर बोर्ड को भले ही लगे कि हम तैयार नहीं है, लेकिन हम तैयार हैं। दर्शक तैयार हैं। वे पूरी तरह व्यस्क हैं। वे फिल्मों को अपने हिसाब से ले सकते हैं। अगर उन्हें वे पसंद ना हों तो उन्हें नहीं देखेंगे इसलिए मुझे लगता है कि हमें दूसरों के लिए विकल्प चुनने का यह पितृसत्तात्मक रूख छोड़ना होगा।"
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