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'पाकीज़ा' किसकी? फिल्म के अधिकार को लेकर शुरु हुई कानूनी लड़ाई

मीना कुमारी के अभिनय से सजी हिट फिल्म 'पाकीज़ा' इन दिनों कानूनी पचड़ों में जा फंसी है। दरअसल कुछ वक्त पहले कमाल अमरोही के प्रोड्क्शन हाउस 'महल पिक्चर्स' को खरीदने वाली एक फर्म ने हाल ही में इस फिल्म के अधिकार को लेकर दावा किया है।

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नई दिल्ली: बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा मीना कुमारी के अभिनय से सजी हिट फिल्म 'पाकीज़ा' इन दिनों कानूनी पचड़ों में जा फंसी है। दरअसल कुछ वक्त पहले कमाल अमरोही के प्रोड्क्शन हाउस 'महल पिक्चर्स' को खरीदने वाली एक फर्म ने हाल ही में इस फिल्म के अधिकार को लेकर दावा किया है। हालांकि अमरोही के बच्चों का कहना है कि यह फिल्म इस बैनर तले नहीं बनी है। गौरतलब है कि इस फिल्म को पर्दे पर रिलीज होने में 16 साल लंबा वक्त लग गया। कमाल अमरोही ने मीना कुमारी से शादी के 4 साल बाद 1956 में इस फिल्म को बनाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में दोनों के बिगड़ते रिश्तों की वजह से फिल्म की शूटिंग आगे नहीं बढ़ी। इस फिल्म को बनाने में इतना डिलेय हुआ कि, जो फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में बननी थी वह अब कलर फॉर्मेट में बनाई गई।

फिल्म आखिरकार 1972 में रिलीज हुई और मीना कुमारी की अदाकारी को लेकर जमकर प्रशंसा होने लगी। लंबे वक्त तक कई मुसीबतें झेलने के बाद रिलीज हुई आइकॉनिक फिल्म 'पाकीज़ा' आज कानूनी विवादों में फंसी हुई है। कमाल अमरोही के निर्देशन में बनी और मीना कुमारी के शानदार अभिनय से सजी इस फिल्म के अधिकारों को लेकर अब डीबी रियल्टी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। उन्होंने दावा किया है वे इसे 7 साल पहले अमरोही के बच्चों से कमलीस्तान स्टूडियो के साथ खरीद चुके हैं। हालांकि इस मामले में अमरोही के बच्चों- तजदार, शानदार और रुकसार का कहना है कि यह फिल्म उनके पिता ने निजी तौर पर बनाई थी, इसे महल पिक्चर्स के बैनर तले नहीं बनाया गया है।

दरअसल डी बी रियल्टी का यह मुकदमा मुख्य रूप में शेमरू लिमिटेड के खिलाफ है, जिन्होंने वर्ष 2015 में अमरोही के बच्चों से फिल्म के अधिकार को खरीदा था। साथ ही उनका यह भी मानना है कि अमरोही के बच्चों शेमरू से सिर्फ इसीलिए हाथ मिलाया है क्योंकि उन्हें लगता है कि वह उनके दिवंगत पिता की इस विरासत के साथ न्याय कर पाएंगे। बता दें कि 2010 में अमरोही के बच्चों ने 'महल पिक्चर्स' को पुणे के बिल्डर्स अविनाश भोसले, डी बी रियल्टी और लुथरिया को बेचा था। ताजदार ने एक अंग्रेजी वेबासाइट से बातचीत के दौरान बताया कि ,"कॉन्ट्रेक्ट साइन करते हुए यह बताया गया था कि प्रोपर्टी की बिक्री के बाद 'पाकीज़ा' के अधिकार उन्हें वापस कर दिए जाएंगे क्योंकि यह उनके पिता की विरासत है।"

सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि, "फिल्म क्रेडिट के वक्त भी यही मेंशन किया गया है कि फिल्म के निर्माता-निर्देशन कमाल अपरोही है न कि महल पिक्चर्स। तो अगर यह मेरे पिता की निजी संपत्ति है तो वे इस बात का दावा नहीं कर सकते कि यह महल पिक्चर्स का हिस्सा है। हमने महल पिक्चर्स बेचा है 'पाकीज़ा' नहीं।" वहीं दूसरी तरफ अविनाश भोसले का कहना है कि, "जब हमने महल पिक्चर्स खरीदा था तो 'पाकीजा' के अधिकार भी हमें मिल गए थे। इसके बावजूद अमरोही के बच्चों ने इसे अवैध रूप से शेमरू को बेचा है। हम उस चीज के लिए लड़ रहे हैं जो कानूनी रूप से हमारा है।"

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