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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड फिल्म रिव्यू: पंजाब में ड्रग्स की हकीकत को बयां करती है 'उड़ता पंजाब'

फिल्म रिव्यू: पंजाब में ड्रग्स की हकीकत को बयां करती है 'उड़ता पंजाब'

अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी इस साल की सबसे विवादित फिल्म 'उड़ता पंजाब' शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म देखने जा रहे हैं तो पहले पढ़े ये रिव्यू।

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कलाकार: शाहिद कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर खान, दिलजीत दोसांज

निर्देशन: अभिषेक चौबे

संगीत: अमित त्रिवेदी

शैली: थ्रिलर फिल्म

अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी इस साल की सबसे विवादित फिल्म 'उड़ता पंजाब' शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म की रिलीज को रोकने की काफी कोशिश की गई थी, यहां तक की फिल्म रिलीज से 2 दिन पहले ही ऑनलाइन लीक हो चुकी थी। लेकिन फिर भी दर्शकों में इसे सिनेमाघरों में जाकर देखने की उत्सुकता बरकरार थी। अभिषेक चौबे ने फिल्म में बड़े सितारों को लेकर पंजाब में युवाओं की स्थिति दिखाने की कोशिश की है। फिल्म में शाहिद कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर खान और पंजाबी फिल्मों के अभिनेता-सिंगर दिलजीत दोसांझ मुख्य भूमिका निभाते हुए नजर आए है।

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कहानी:-

फिल्म की कहानी शुरुआत से ही 4 अलग-अलग लोगों की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती दिखाई गई है। फिल्म शुरु होती है पंजाब के रॉकस्ट टॉमी सिंह (शाहिद कपूर) से जो बुरी तरह से ड्रग्स की लत में फंसा हुआ है। इसी दौरान वह कई तरह-तरह के कॉन्सर्ट्स भी करता है। टॉमी के फैंस भी उसी की तरह बनने के लिए इस ड्रग्स की चपेट में आने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ बिहार से एक लड़की (आलिया भट्ट) पंजाब आई है। उसकी आंखों में कई सपने थे, लेकिन हालातों ने उसे एक मजदूर बना दिया है। एक दिन उसके हाथ 3 किलों ड्रग्स का पैकेट लग जाता है जिसे बेचने के लिए वह निकल पड़ती है। इसी दौरान वह भी उस रास्ते पर जा पहुंचती जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था। फिल्म का तीसरा हिस्सा है डॉक्टर प्रीत साहनी (करीना कपूर) जो पंजाब में चल रहे ड्रग्स के धंधे को रोकने की जद्दोजहद में लगी हुई है। फिल्म का चौथा अह्म हिस्सा है पुलिस ऑफिसर सरताज सिंह (दिलजीत दोसांझ) जो सिस्टम में रहकर ड्रग्स माफिया का साथ देता है। लेकिन एक दिन उसकी जिंदगी में भी ड्रग्स की वजह से भूचाल आ जाता है। इन चारों की जिंदगी किसी न किसी वजह से ड्रग्स से प्रभावित होती है। इसके बाद फिल्म कई दिलचस्प मोड़ के साथ आगे बढ़ती है जो दर्शकों को अंत तक इसके साथ बांधे रखती है। फिल्म को देखते हुए कही भी आप बोर महसूस नहीं करेंगे। इसमें बेहतरीन तरीके से पंजाब की हकीकत को बयां करने की कोशिश की गई है।

अभिनय:-

फिल्म में शाहिद कपूर ने पंजाबी रॉकस्टार टॉमी सिंह के किरदार को बखूबी पर्दे पर पेश किया है। उन्होंने एक ड्रग्स एडिक्ट रॉकस्टार की भूमिका के लिए अपने लुक, पंजाबी टोन और बॉडीलैंग्वेज पर काफी मेहनत की है। वह अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। वहीं आलिया भट्ट भी बिहारी मजदूर लड़की के किरदार में शानदार रही हैं। उन्होंने अपने ट्रांसफोर्मेशन के कारण दर्शकों से काफी सराहना बटोरी है। करीना कपूर ने भी डॉक्टर के किरदार से दर्शकों को प्रभावित किया है। जबकि पंजाबी पुलिस अधिकारी के किरदार में दिलजीत भी अपनी भूमिका में खरे उतरते हुए नजर आए। फिल्म के अन्य कलाकारों का अभिनय भी सराहनीय रहा।

निर्देशन:-

अभिषेक चौबे के निर्देशन की बात करें तो उन्होंने इसे काफी रियलस्टिक बनाने की कोशिश की है। फिल्म को बेहतरीन पंजाब की लोकेशन्स में शूट किया गया है। उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से एक ऐसे मुद्दे पर सबका ध्यान आकर्षित करवाया है जो पंजाब को खोखला कर रहा है। उनकी यह फिल्म इस बात को सोचने पर मजबूर करती है कि अगर इस ड्रग्स की लत को अभी नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं है जब यह देश के हर बच्चे को प्रभावित करेगी। निर्देशक ने पंजाब के हर हिस्से को दिखाया है। बात चाहें पंजाब पुलिस की हो या परिवारों की फिल्म में सभी चीजें खूबसूरती से पेश की गई हैं।

समीक्षा:-

फिल्म सेंसर बोर्ड के कारण काफी चर्चा में रही है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के करीब 89 सीन्स को लेकर आपत्ति जताई थी। उसके अनुसार यह सीन्स ऐसे है जो दर्शकों के सामने पेश नहीं किए जा सकते। लेकिन बंबई हाईकोर्ट का नोटिस आने के बाद फिल्म को हरी झंड़ी दे दी गई थी। लेकिन फिल्म को देखते हुए किसी भी सीन पर आप ऐसा महसूस नहीं करेंगे जिन पर सेंसर बोर्ड की कैंची चलाई जी सके। फिल्म का कोई भी दृश्य इतना आपत्तिजनक नहीं रहा है। सेंसर बोर्ड के अनुसार फिल्म के माध्यम से ड्रग्स का प्रचार किया जा रहा है, जबकि फिल्म देखते हुए यह महसूस होता है कि ड्रग्स की लत किस तरह से युवाओं और उनके परिवारों को बर्बाद कर रही है। फिल्म में काफी हर तक ड्रग्स के खिलाफ जागरुकता दिखाई गई है। कुल मिलाकर कह सकते हैं इसने कई समाज के कई मुद्दे उठाए हैं। फिल्म को एक बार तो सिनेमाघरों में जाकर देखना चाहिए।

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