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Ajay Devgn-Kichcha Sudeep के हिंदी विवाद पर Kangana Ranaut का आया बयान, जानिए किसको किया सपोर्ट

कंगना ने कहा कि उनके पास इस मुद्दे का कोई सीधा जवाब नहीं है लेकिन उन्होंने इस पर अपने विचार रखे हैं।

Kangana Ranaut on Ajay Devgn and Kichcha Sudeep Twitter debate - India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM Kangana Ranaut on Ajay Devgn and Kichcha Sudeep Twitter debate 

Highlights

  • बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने हिंदी विवाद पर बयान दिया है।
  • कंगना रनौत ने शुक्रवार (29 अप्रैल) को अपनी अपकमिंग फिल्म 'धाकड़' का ट्रेलर लॉन्च किया।

बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और कन्नड़ एक्टर किच्चा सुदीप द्वारा हिंदी भाषा को लेकर दिए गए बयानों के बीच अब बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने इस विषय पर बयान दिया है। कंगना ने कहा कि उनके पास इस मुद्दे का कोई सीधा जवाब नहीं है लेकिन उन्होंने इस पर अपने विचार रखे हैं। कंगना रनौत ने शुक्रवार (29 अप्रैल) को अपनी अपकमिंग फिल्म 'धाकड़' का ट्रेलर लॉन्च किया। मुंबई में हुए इस कार्यक्रम में उनके साथ अर्जुन रामपाल, दिव्या दत्ता और फिल्म के निर्देशक रजनीश घई भी मौजूद थे। 

ट्रेलर लॉन्च के दौरान जब उनसे अजय देवगन और किच्चा सुदीप को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, 'मुझे 2 मिनट दीजिए ताकि मैं इस विषय पर अपने विचार रख सकूं।' उसके बाद उन्होंने कहा कि 'जो भी हमारा सिस्टम है, सोसायटी है, इसकी भाषा और संस्कृति में काफी विविधता है और हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करें।'

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'लेकिन हमारा जैसा देश है, उसे एक यूनिट बनाने के लिए कोई एक धागे की आवश्यकता है ताकि हम इसे चला सकें। तमिल वास्तव में हिंदी से प्राचीन है और उनसे पहले भी संस्कृत आई थी। यदि आप मेरी राय पूछते हैं, तो राष्ट्रभाषा संस्कृत होनी चाहिए, क्योंकि तमिल, कन्नड़, गुजराती और हिंदी जैसी भाषाएं उसी से आई हुई हैl तो संस्कृत को ना लेकर हिंदी को क्यों बनाया, इसका जवाब मेरे पास नहीं हैl' 

उन्होंने आगे कहा, 'मुझे नहीं पता कि पहली बार में राष्ट्रीय भाषा के रूप में संस्कृत की अनदेखी क्यों की गई। अगर कोई कहता है कि हम हिंदी को स्वीकार नहीं करते हैं, तो वे संविधान को नकार रहे हैं। तमिलों ने भी एक आंदोलन किया था। वे एक अलग राष्ट्र चाहते थे। जब वे बंगाल गणराज्य की मांग करते हैं, तो आप हिंदी को नकार रहे हैं, आप दिल्ली को सरकार के केंद्र के रूप में नकार रहे हैं। इस बातचीत की कई परतें हैं।

यदि आप हिंदी को नकार रहे हैं, तो आप दिल्ली में संविधान और हमारी सरकार को नकार रहे हैं। पूरा देश हिंदी में काम करता है। जर्मन और फ्रांसीसी लोगों को अपनी भाषा पर बहुत गर्व है। औपनिवेशिक इतिहास कितना भी काला क्यों न हो, सौभाग्य से, या दुर्भाग्य से, अंग्रेजी लिंक बन गई है। आज भी देश में, अंग्रेजी संचार की कड़ी है इस पर निर्णायक फैसला लिया जाना चाहिए। संविधान में हिंदी राष्ट्रभाषा है।

'हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, इसलिए अजय सर ने जो कुछ भी कहा वह सही है। लेकिन मैं सुदीप की भावना को समझती हूं और वह गलत भी नहीं हैं।'

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