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Luka Chuppi Movie Review: खूब हंसाएगी गुड्डू और रश्मि की 'लुका-छुपी'

Luka Chuppi Movie Review: 'लुका छुपी' मथुरा के रहने वाले गुड्डू और रश्मि की है। जो शादी से पहले लिव-इन में रहने का फैसला करते हैं।

Jyoti Jaiswal 01 Mar 2019, 14:52:42 IST
मूवी रिव्यू:: लुका-छुपी
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: 1 मार्च 2019
कलाकार: कृति सेनन
डायरेक्टर: लक्ष्मण उतेकर
शैली: रोमांटिक-कॉमेडी
संगीत: तनिष्क बागची, अभिजीत वघानी, White Noise, केतन सोढा

Luka Chuppi Movie Review: छोटे शहरों पर फिल्में बनाने का चलन शुरू हो चुका है, छोटा शहर है तो वहां के मुद्दे और परेशानियां भी बड़े शहरों से अलग हैं। जैसे लिव इन रिलेशनशिप में रहना छोटे शहर में बहुत बड़ी बात है। इसी मुद्दे को लेकर 'लुका छुपी' फिल्म बनाई गई है। यह एक ऐसे कपल की कहानी है जो शादी से पहले एक-दूसरे को जानने और समझने के लिए साथ रहने का फैसला करते हैं। लेकिन मथुरा जैसे शहर में दोनों ये कैसे करेंगे?

फिल्म में कार्तिक आर्यन गुड्डू शुक्ला के रोल में हैं, जो मथुरा लाइव नाम के एक छोटे केबल टीवी में पत्रकार है। उसी चैनल में इंटर्नशिप करने आई लड़की रश्मि त्रिवेदी से उसे प्यार हो जाता है। शादी से पहले रश्मि अपने होने वाले पति के बारे में जानना चाहती है इसलिए वो लिव इन में रहने की बात करती है।

फिल्म में मथुरा और ग्वालियर शहर को दिखाया गया है। कार्तिक आर्यन खुद ग्वालियर के रहने वाले हैं इसलिए वहां की बोली और भाषा उन्होंने बखूबी पकड़ी है। यह फिल्म के लेवल को भी बढ़ाता है। कृति सेनन भी बहुत अच्छी लगी हैं, 'बरेली की बर्फी' के बाद 'लुका छुपी' में भी उन्होंने छोटे शहर की लड़की का किरदार बहुत अच्छी तरह से निभाया है। कार्तिक और कृति की फ्रेेश केमिस्ट्री पर्दे पर अच्छी लगती है। फिल्म के सह-कलाकार भी दमदार रोल में हैं। आजकल फिल्मों में सह-कलाकारों पर भी काफी ध्यान दिया जाता है। अपारशक्ति खुराना हों, विनय पाठक हों या अतुल श्रीवास्तव। सभी कलाकारों ने बढ़िया काम किया है। लेकिन एक बात का मुझे बहुत अफसोस है। फिल्म में पंकज त्रिपाठी के साथ अन्याय किया गया है। वो एक महान अभिनेता हैं इस तरह के रोल के लिए वो नहीं बने हैं।

फिल्म लिव-इन रिलेशनशिप को सपोर्ट करती है। संस्कृति रक्षक टाइप के जो लोग हैं उनका असली चेहरा भी दिखाती है। फिल्म वैसे तो लिव-इन मुद्दे पर बनी है लेकिन साथ ही वो और दूसरे जरूरी मुद्दे भी उठाती है। इसे आप एक सोशल-पॉलिटिकल फिल्म भी मान सकते हैं। फिल्म हंसते-हंसाते बड़े-बड़े मुद्दों पर अपनी बात रखती है।

लक्ष्मण उतेकर ने इस फिल्म के साथ निर्देशक के तौर पर डेब्यू किया है, लेकिन उन्होंने पूरी परिपक्वता से फिल्म का निर्देशन किया है। लक्ष्मण और फिल्म के लेखक रोहन शंकर ने मिलकर एक खूबसूरत और मजेदार फिल्म हमें दी है।

बेस्ट सीन 

फिल्म के कुछ सीन बहुत अच्छे हैं, खासकर जब गुड्डू लिव-इन में रहने के लिए सामान लेकर जा रहा होता है और बैक-ग्राउंड में विदाई सॉन्ग बजता है वो सीन आपको देर तक गुदगुदाएगा।

देखें या नहीं?

बिल्कुल देखिए और सपरिवार देखिए क्योंकि इंडिया में सब कुछ सपरिवार होता है 'लिव इन रिलेशनशिप' भी। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 5 में से 3 स्टार।