फिल्म रिव्यू: निर्भया गैंगरेप की याद दिलाती है श्रीदेवी की फिल्म 'मॉम' (स्टार रेटिंग- 3)

श्रीदेवी की फिल्म मॉम भी एक ऐसी मां की कहानी है जो अपनी बेटी की रक्षा के लिए दुर्गा का रूप धारण कर लेती है। मॉम' देखते वक्त कई बार आपको अमिताभ बच्चन और तापसी प

Jyoti Jaiswal 11 Aug 2017, 19:31:40 IST
मूवी रिव्यू:: मॉम
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: 7 जुलाई 2017
कलाकार: नवाजुद्दीन सिद्दीकी
डायरेक्टर: रवि उदयवर
शैली: ड्रामा/रोमांचक
संगीत: ए आर रहमान

''भगवान हर जगह नहीं हो सकते हैं, इसीलिए उन्होंने मां बनाई है।'' मां को चाहे आई बुला लो, अम्मी बुला लो, मम्मी बुला लो या फिर वो बुलाओ जो आजकल के मॉडर्न बच्चे जो बुलाते हैं 'मॉम'। लेकिन एक मां एक जैसी ही होती है। वो अपने बच्चों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, किसी की मजाल जो मां के सामने उसके बच्चों को आंखें भी दिखा सके। श्रीदेवी की फिल्म मॉम भी एक ऐसी मां की कहानी है जो अपनी बेटी की रक्षा के लिए दुर्गा का रूप धारण कर लेती है। मॉम' देखते वक्त कई बार आपको अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की फिल्म पिंक की याद आएगी। पिंक में एक डायलॉग है 'नो मीन्स नो', लेकिन हमारे समाज में लोगों को ये बात समझ में नहीं आती उन्हें लड़की की ना का मतलब हां ही लगता है। पिंक में आरोपी लड़कों की दलील होती है कि एक लड़की ने अगर शराब पी है तो वो सेक्स भी कर सकती है, इस फिल्म में भी एक सीन में ऐसा होता है, जब लड़की साथ डांस और ड्रिंक करने को मना कर देती है तो उसका क्लासमेट कहता है, ''वैलेंटाइन डे की पार्टी में आई है और बिहैव ऐसे कर रही है जैसे जगराते में आई हो।''

श्रीदेवी की 300वीं फिल्म है। श्रीदेवी को हिंदी सिनेमा में अभिनय करते हुए आज 50 साल भी पूरे हो गए हैं, इस वजह से भी ये फिल्म बहुत खास है। श्रीदेवी इससे पहले गौरी शिंदे की फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ में नजर आई थीं। इस बार श्रीदेवी ‘मॉम’ के रूप में बड़े पर्दे पर लौटी हैं। कैसी है फिल्म, क्या ये इंग्लिश विंग्लिश जैसा कमाल दिखा पाएगी?

कहानी

मॉम की कहानी देवकी (श्रीदेवी) नाम की एक महिला की है। जिसका एक परिवार है, परिवार में पति आनंद (अदनान सिद्दीकी), सौतेली बेटी आर्या (सेजल अली) और एक छोटी बेटी प्रिया है। देवकी बायोलॉजी की टीचर है, और उसकी स्टूडेंट उसकी सौतेली बेटी आर्या भी है। आर्या अपनी सौतेली मां को घर में भी मैम कहकर बुलाती है, लेकिन देवकी खुद की बेटी और सौतेली बेटी में कोई फर्क नहीं करती। नोएडा में रहने वाले इस परिवार पर मुसीबत का पहाड़ तब टूट पड़ता है जब आर्या वैलेंटाइन डे पर दोस्तों के साथ पार्टी करने जाती है और वापस नहीं लौटती। पता चलता है कि उसका रेप हुआ है, लेकिन सबूत के अभाव की वजह से उसके दोषियों को अदालत रिहा कर देती है। इसके बाद शुरू होती है बदले की कहानी। कैसी सीधी-साधी औरत बेटी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए मां दुर्गा बन जाती है, फिल्म में वही दिखाया गया है।

हमारे देश में कानून ऐसा है कि रेपिस्ट रेप करके खुलेआम घूम सकता है लेकिन रेपिस्ट को थप्पड़ मारना गुनाह हो जाता है। फिल्म देखते हुए हमें  कुछ यही दिखाया गया है श्रीदेवी की फिल्म मॉम में। यह फिल्म में दिल्ली में हुए साल 2012 के निर्भया गैंगरेप की भी याद दिलाती है। हमें ये एहसास दिलाती है कि देश में लड़कियां कितनी अनसेफ हैं। निर्देशक रवि उदयवार ने बखूबी इस कहानी को पिरोया है, और शानदार कलाकारों के साथ ने फिल्म को असाधारण बना दिया है।

अभिनय

एक्टिंग की बात करें तो श्रीदेवी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो कितनी अच्छी एक्ट्रेस हैं। हर सीन में उन्होंने अपने अभिनय से जान डाल दी है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अपने रोल में फिट हैं, हर बार वो हमें अलग-अलग रूप में आकर हैरान कर देते हैं। अक्षय खन्ना फिल्म में एक पुलिसवाले की भूमिका हैं। अक्षय का किरदार बहुत मजबूत नहीं था लेकिन जितना कुछ उनके हिस्से आया उसे उन्होंने बखूबी निभाया है। सेजल अली को देखते हुए हमें करीना कपूर की याद आ जाती है, उनकी एक्टिंग और लुक काफी हद तक करीना से मिलता दिख रहा था। सेजल ने सहज अभिनय किया है, एक रेप विक्टिम के दर्द को उन्होंने बड़े पर्दे पर बखूबी निभाया है, जो आपकी आंखों में आंसू लाने के लिए पर्याप्त है। अदनान सिद्दीकी ने भी एक सीधे-साधे नौकरीपेशा शख्स की भूमिका अच्छे बड़े पर्दे पर उतारी है।

निर्देशन

फिल्म का निर्देशन रवि उदयवार ने किया है। डायरेक्टर के तौर पर ये उनकी डेब्यू फिल्म है। निर्देशन सधा हुआ है, पूरी फिल्म हमें बांधे रखती है। इंटरवल के पहले तक फिल्म की कहानी इमोशन से भरी होती है, खासकर अस्पताल में श्रीदेवी और सेजल के बीच फिल्माया गया काफी बेहतरीन बन पड़ा है। लेकिन इंटरवल के बाद सब कुछ बहुत प्रेडिक्टिबल हो जाता है। हमें पता चल जाता है अब क्या होने वाला है। मेरे ख्याल से क्लाइमैक्स कुछ अलग और बेहतर किया जा सकता था।

म्यूजिक

फिल्म का म्यूजिक ए आर रहमान ने दिया है। एक इंटरव्यू के दौरान बोनी कपूर ने बताया था कि ए आर रहमान को हमने 70 फीसदी फिल्म शूट होने के बाद साइन किया था। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत रिच है। खासतौर पर जब सेजल का चलती गाड़ी में रेप हो रहा होता है उस वक्त चल रहा बैकग्राउंड म्यूजिक हमें अंदर तक डराता है।

लेकिन फिल्म में गानों की जरूरत नहीं थी। जो गाने आते हैं वो लंबे और बेवजह लगते हैं। फिल्म के गाने और संगीत औसत है।

कमियां

हाल ही में रवीना टंडन की फिल्म 'मातृ' रिलीज हुई थी। उसमें भी एक रेप पीड़ित बेटी और मां की कहानी होती है। फिल्म काफी हद तक उससे मिलती जुलती है इसलिए फिल्म में नयापन नहीं लगता है। कहानी बहुत औसत है। कहीं-कहीं फिल्मी स्वतंत्रता ली गई है, वर्ना इतनी आसानी से हर बार देवकी का दुश्मनों से बदला ले लेना अति लगत है, इसमें और एक्शन और थ्रिल की जरूरत थी।

देखें या नहीं

काफी समय बाद एक ऐसी फिल्म आई है जो आपको पूरी तरह बांधे रखती है, आपकी आंखों में आंसू लाती है, और जिसमें आपको हर एक्टर उम्दा अभिनय करता दिखाई दे रहा है। इसलिए आपको ये फिल्म देखनी चाहिए। अगर आप श्रीदेवी के फैन हैं तो आपको ये फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए।

स्टार रेटिंग

फिल्म को शानदार अभिनय और सिनेमैटोग्राफी की वजह से मैं 3 स्टार दूंगी।