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Trial Period Review: सिंगल मां बेटे की जिद पर लाई 30 दिन के लिए ट्राइल पर पिता, जानिए फिर कैसा हुआ धमाल

Trial Period Review: जेनेलिया देशमुख की फिल्म जियो सिनेमा पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी एक सिंगल मदर की है, जो अपने 6 साल के बेटे के लिए पिता तलाश रही है।

Joyeeta Mitra Suvarna 21 Jul 2023, 8:26:59 IST
मूवी रिव्यू:: ट्रायल पीरियड
पर्दे पर: जुलाई 21, 2023
कलाकार:
डायरेक्टर: आलिया सेन
शैली: फैमिली ड्रामा
संगीत: शांतनु मोइत्रा, अनुपम रॉय

Trial Period Review: बच्चों के लिए माता और पिता दोनों से प्यार होता है। बचपन में किसी एक की कमी उनके लिए कितनी ज्यादा दुखद हो सकती है इसकी कल्पना करना मुश्किल है। यह फिल्म 'ट्रायल पीरियड' एक ऐसे ही बच्चे और उसकी सिंगल मदर की कहानी है। बच्चे के जीवन में पिता की कमी को पूरा करने के लिए मां एक परफेक्ट पिता खोज रही है, लेकिन वह उसे मिलेगा या नहीं, मिलेगा तो कैसे मिलेगा, ये सफर देखना इस फिल्म में मजेदार अनुभव देता है। फिल्म में जेनेलिया देशमुख के साथ मानव कौल लीड किरदार में नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म...
 
कैसी है फिल्म की कहानी 

ऐना (जेनेलिया देशमुख) अपने 6 साल की बेटे रोमी (जिदान) के साथ अपनी जिंदगी जी रही है। वह एक कामकाजी महिला है। मां बेटे की जिंदगी सामान्य चल रही है मगर हलचल तब मचती है जब रोमी 30 दिन के लिए ट्रायल बेसिस पर पापा लाने की ज़िद कर बैठता है। ट्रायल पर पापा? थोड़ा अटपटा जरूर लगता है मगर बच्चे की जिद के आगे कोई क्या ना करें। दरअसल रोमी के दिमाग में यह बात तब आती है जब उसे स्कूल में आए दिन बच्चे उसे परेशान करते हैं और जब एक दिन मंच पर रोमी को अपने पिता के बारे में कुछ कहने को बोला जाता है तो कुछ कह नहीं पाता और टूट जाता है।

रोमी अक्सर अपने पड़ोस में मामा जी (शक्ति कपूर) और मामी (शीबा चड्ढा) के घर जाता है जिनके घर आए दिन ऑनलाइन ट्रायल बेसिस पर सामान मंगवाया जाता है। मगर उस 6 साल के बच्चे के मन में ट्रायल पीरियड पर सामान और इंसान लाने का फर्क समझ पाना जरा मुश्किल था। यहां काफी जद्दोजहद के बाद एंट्री होती है पीडी ( मानव कौल) की, जो रोमी का पापा बनकर 30 दिन के लिए आते हैं और यहां से शुरू होते हैं चैलेंज... रोमी की मम्मी और पी डी के बीच एक अलग ही किस्म का जंग, पी डी का बार-बार खुद को साबित कर पाना। रोमी की मानसिक स्थिति का पूरा ध्यान रखना इत्यादि इत्यादि। 

कैसी है सबकी एक्टिंग 

जेनेलिया देशमुख की यह कमबैक फिल्म है और सिंगल मदर के रूप में उन्होंने बढ़िया काम किया है। वह बेहद सुंदर और कॉन्फिडेंट लग रही हैं। जेनेलिया का किरदार अपने बेटे को तो पिता के लिए मना नहीं करता लेकिन साथ ही वह अपने लिए जीवन साथी की बिल्कुल तलाश नहीं करती। अपने अभिनय के जरिए इस फर्क को उन्होंने बखूबी दर्शाया है। मानव कौल का परफॉर्मेंस शानदार है । वह 'पीडी' की भूमिका बेहतरीन तरीके से निभाते हैं। उनकी तारीफ में शब्द कम पड़ जाते हैं।  उन्होंने एक छोटे शहर के लड़के का किरदार निभाया है, जिन्हें अपने फैमिली वॉल्यूज पर गर्व है। मानव ने हर एक इमोशन को बखूबी अपने किरदार में ढाला है। रोमी यानी जिदान ब्रेज़ का इनोसेंस दिल को छूता है। शक्ति कपूर, शीबा चड्ढा, गजराज राव और अन्य सभी कलाकारों का सपोर्ट अच्छा है।

क्यों देखना चाहिए ये फिल्म

- ट्रायल पीरियड का इंटेंशन बिल्कुल साफ है और रिश्तों को काफी सहजता से हैंडल किया गया है। सच्चाई साफ नजर आती है।

- सशक्त महिलाओं के साथ मानव कौल का इक्वेशन पर्दे पर हमेशा तारीफ के काबिल रहा है, चाहे वह शेफाली शाह हों, माधुरी दीक्षित हों या फिर विद्या बालन। ऐसे में जेनेलिया देशमुख के साथ मानव फल की जोड़ी फ्रेश लग रही है।

- यह एक पारिवारिक और स्लाइस ऑफ लाइफ फिल्म है जिसे परिवार के साथ देखने में मजा आएगा।

फिल्म में क्या रह गईं कमियां 

- ट्रायल पीरियड बेहद प्रिडिक्टेबल फिल्म है जिसमें कोई सरप्राइस नहीं।

- अलेया सेन की फिल्म कहीं-कहीं बोरियत पैदा करती है। चूंकि फिल्म का कोई सब प्लॉट नहीं है और एक ही दिशा में आगे बढ़ती है तो ज्यादा कुछ हो नहीं पता।

- फिल्म में एक बेहद जरूरी फैसला लिया जाता है लेकिन ऐसे में थोड़ा इमोशनल उतार-चढ़ाव की कमी है।

- बहरहाल, कुछ एक कमियों को अगर नजरअंदाज कर दें तो घर बैठे एक हल्की-फुल्की पारिवारिक फिल्म का आनंद आप जरूर ले सकते हैं।

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