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Hindi News मनोरंजन टीवी जब 'लक्ष्मण' की गलती से टूट गया था 'रामायण' का सेट, सुनील लहरी ने सुनाया शूटिंग का मजेदार किस्सा

जब 'लक्ष्मण' की गलती से टूट गया था 'रामायण' का सेट, सुनील लहरी ने सुनाया शूटिंग का मजेदार किस्सा

सुनील लहरी ने बताया कि एक बार उनकी गलती की वजह से शूटिंग के दौरान सेट ही भरभरा कर गिर पड़ा था।

Sunil Lahri shares funny moment of shooting- India TV Hindi Image Source : TWITTER सुनील लहरी ने शेयर की सेट की फोटो

रामानंद सागर का लोकप्रिय धारावाहिक 'रामायण' जितनी बार टीवी पर टेलिकास्ट हुआ, उतनी बार दर्शकों का दिल जीता है। इस शो की स्टार कास्ट अरुण गोविल (राम), दीपिका चिखलिया (सीता) और सुनील लहरी (लक्ष्मण) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अक्सर शूटिंग के दौरान की यादों को दर्शकों के साथ साझा करते रहते हैं। हाल ही में सुनील लहरी ने बताया कि एक बार उनकी गलती की वजह से शूटिंग के दौरान सेट ही भरभरा कर गिर पड़ा था। 

सुनील लहरी ने ट्विटर पर 'रामायण' की शूटिंग के दौरान की एक फोटो शेयर की है। उन्होंने इसके पीछे का मजेदार किस्सा बताते हुए लिखा, "इस शूट का फनी हादसा, जो मैंने कभी कहा नहीं, जो खंभा मेरे बाजू में दिख रहा है, उससे टिककर खड़े होने की वजह से कुटिया की छत का एक हिस्सा गिर गया था। घास-फूस का होने की वजह से किसी को चोट नहीं आई। भूल गया था ये असली नहीं, नकली है।"

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बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर एक बार फिर से 'रामायण' का प्रसारण हुआ था। इस शो को इस बार भी दर्शकों का खूब प्यार मिला। 

रामानंद सागर ने अपने निर्देशन में वाल्मीकि कृत रामायण और तुलसीदास के रामचरित मानस पर आधारित इस धारावाहिक के कुल 78 एपिसोड बनाए थे। देश में पहली बार इस धारावाहिक का मूल प्रसारण 25 जनवरी, 1987 से लेकर 31 जुलाई, 1988 तक हुआ था। तब हर रविवार को सुबह साढ़े नौ बजे यह धारावाहिक टीवी पर आता था।

1987 से 1988 तक चले प्रसारण के दौरान रामायण, देश ही नहीं दुनिया में सबसे अधिक देखा जाने वाला धारावाहिक बन गया था। जून 2003 तक लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में यह विश्व के सर्वाधिक देखे जाने वाले पौराणिक धारावाहिक के रूप में दर्ज रहा।

रोचक बात है कि इस धारावाहिक का जब पहली बार देश में प्रसारण होना शुरू हुआ तो उस वक्त मानो सड़कों पर अघोषित कर्फ्यू लग जाता था। हाल यह था कि देश की अधिकांश जनता रामायण देखने के लिए तय समय पर टीवी के सामने बैठ जाती थी। उस वक्त घरों में टेलीविजन कम थे। जिनके घरों में टेलीविजन होते थे वहां पड़ोसियों की भीड़ उमड़ पड़ती थी।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)