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Hindi News मनोरंजन टीवी ‘महाभारत’ में ‘मैं समय हूँ’ कहने वाले हरीश भिमानी अब कहाँ हैं?

‘महाभारत’ में ‘मैं समय हूँ’ कहने वाले हरीश भिमानी अब कहाँ हैं?

15 फरवरी 1956 में मुंबई में पैदा हुए हरीश भिमानी पेशे से वाइस ओवर आर्टिस्ट हैं। हरीश ने अपने करियर में 22 हजार से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग्स की हैं।

<p> हरीश भिमानी अब...- India TV Hindi  हरीश भिमानी अब कहाँ हैं

लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन ने कई पुराने सीरियल्स को दूरदर्शन पर वापस से शुरू करने का फ़ैसला किया, उनमें से रामायण और महाभारत ख़ूब पसंद किया  जा रहा है। टीवी पर ये शो ख़ूब पसंद किया गया था, इस शो में कई बड़े सितारों ने काम किया था, लेकिन इस सीरियल में एक ऐसेपात्र भी थे जिनका कभी चेहरा नहीं दिखा लेकिन उनकी आवाज़ ही  गयी उनकी पहचान। मैं बात कर रही हूँ 'समय' की। 'मैं समय हूं' से अपनी बात शुरू करने वाला महाभारत के सूत्रधार हर कड़ी की शुरुआत में  आते थे  और कहानी को  आगे बढ़ाते थे। इस आवाज के पीछे जो चेहरा था उनका नाम है हरीश भिमानी।

15 फरवरी 1956 में मुंबई में पैदा हुए हरीश भिमानी पेशे से वाइस ओवर आर्टिस्ट हैं। हरीश ने अपने करियर में 22 हजार से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग्स की हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि उन्हें महाभारत के सूत्रधार 'समय' के रूप में मिली। अपने करियर में उन्होंने तमाम टीवी सीरियल्स, फ़िल्म्स, स्टेज शो, रेडियो, स्पोर्ट्स, एंकरिंग समेत कई जगह अपनी अवाज का जादू बिखेरा। 

महाभारत के बारे में बात करते हुए हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया- 'एक शाम मुझे गूफी पेंटल (शो के कास्टिंग डायरेक्टर) का कॉल आया और मुझे कहा गया कि बीआर के मेन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है। मैंने उनसे इस बारे में जानना चाहा लेकिन उन्होंने आने को कहकर फ़ोन काट दिया।' हरीश ने आगे कहा- 'जब मैं वहां गया तो मुझे एक कागज दिया गया और उसे पढ़ने को कहा गया, मैंने पढ़ तो लिया लेकिन वहाँ के लोग संतुष्ट नहीं हुए, मुझसे कहा गया कि ये तो डॉक्युमेंट्री जैसा लग रहा, मैंने कहा तो और क्या है। इसके बाद उन्होंने मुझे समझाया। मैंने फिर से सुनाया, लेकिन उन्हें शायद पसंद नहीं आया और मुझे जाने को कह दिया गया। इसके बाद दो-तीन दिन बाद फिर बुलाया गया। मैं फिर से गया और फिर मैंने 7-8 टेस्ट दिए, लेकिन इस बार भी उन्हें कुछ ख़ास नहीं लगा। फिर मैंने सुझाव दिया कि आप लोग आवाज़ बदलने को कह रहे हैं जिससे इसकी गम्भीरता ख़त्म हो रही है, आप मुझे अपने हिसांब से करने दीजिए।’ 

हरीश ने कहा इसके बाद मैंने दोबारा कहा- ‘मैं समय हूँ, इस बार उन्हें पसंद  आया और आगे क्या हुआ आओ सब जानते हैं।’

हरीश आज भी काम कर रहे हैं, और साल 2016 में उन्हें मराठी डॉक्यू-फीचर 'माला लाज वाटत नाही' में वॉइस ओवर के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

यहां सुनिए वो आवाज-