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Hindi News Explainers Explainer: प्याज के निर्यात पर 40% शुल्क के विरोध में किसानों ने थोक बाजार में बिक्री रोकी, क्या अब टमाटर की तरह होगा महंगा? जानें

Explainer: प्याज के निर्यात पर 40% शुल्क के विरोध में किसानों ने थोक बाजार में बिक्री रोकी, क्या अब टमाटर की तरह होगा महंगा? जानें

सरकार ने इस साल तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए रखा है। उसने पिछले सप्ताह से थोक बाजार में प्रमुख स्थानों पर इसका निपटान शुरू कर दिया है।

Will onion be as expensive as tomato?- India TV Hindi Image Source : INDIA TV टमाटर की तरह होगा महंगा प्‍याज?

प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज की बिक्री रोक दी है। दरअसल, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में किसानों ने रविवार को थोक बाजार में प्याज की बिक्री रोक दी। आपको बता दें कि सरकार ने कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए शनिवार को प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था। प्याज पर 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर यह निर्यात शुल्क जारी रहेगा। इस फैसले के विरोध में किसानों ने बिक्री रोक दी है। ऐसे में क्या आने वाले दिनों में प्याज के भाव में और तेजी देखने को मिल सकती है। आइए, जानते हैं क्या कहते हैं अजादपुर मंडी के कारोबारी। 

किसानों की बिक्री रोकने से क्या टमाटर के तरह महंगा होगा प्याज? 

आजादपुर मंडी में प्याज कारोबारी राजेंद्र शर्मा ने इंडिया टीवी को बताया कि किसानों की बिक्री रोकने से टमाटर के तरह प्याज के महंगा होने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि निर्यात पर टैक्स लगाने से आने वाले दिनों में प्याज की कीमत और कम होगी।  कीमत में कमी की शुरुआत हो भी गई है। पिछले हफ्ते अजादपुर मंडी में प्याज की कीमत 17 रुपये से 32 रुपये प्रति किलो के बीच थी। अब अधिकतम कीमत घटकर 26 रुपये प्रति किलो पर आ गई है। यानी प्याज के प्रति किलो कीमत में 5 रुपये की कमी ​हुई है। सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर टैक्स लगाने से भारत का प्याज विदेशों में काफी महंगा हो गया है। भारत की तुलना में दुनिया के कई देशों के प्याज सस्ते में उपलब्ध हैं। यानी भारतीय प्याज का निर्यात अब संभव नहीं होगा क्योंकि बाहर खरीदार नहीं मिलेंगे। इससे भारतीय बाजार में प्याज की उपलब्धता और बढ़ेगी। ऐसे में कीमत में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है। 

प्याज की कीमतों में करीब 45% की बढ़ोतरी हुई थी

एशिया के सबसे बड़े थोक प्याज बाजार की लासलगाव कृषि उत्पन्न बाजार समिति के सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते प्याज की कीमतों में करीब 45 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। समिति के एक व्यापारी ने कहा, ‘‘दो हफ्ते पहले प्याज 1500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था और एक हफ्ते में ही यह 2200 रुपये तक पहुंच गया। अब कीमत कम होने लगी है, क्योंकि निर्यात लगभग असंभव हो गया है।

निर्यात पर शुल्क लगाने से किसानों को होगा नुकसान 

स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप जगताप ने कहा कि महाराष्ट्र में किसान प्याज के निर्यात से अच्छे लाभ की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लगाए गए शुल्क से अब यह संभव नहीं होगा। इससे घरेलू बाजार में कीमतें गिर जाएंगी और किसानों को नुकसान होगा।’’ उन्होंने सरकार पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के कई हिस्सों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई और इससे बाजार में ताजा प्याज की आवक में देरी होगी। जगताप ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए राज्य भर के थोक बाजारों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।’’ एक किसान ने कहा, ‘‘केंद्र को हमारी परेशानियों पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि निर्यात शुल्क ने व्यापारियों को एक संदेश भेजा है कि सभी उपलब्ध प्याज केवल घरेलू बाजारों में ही बेचे जाएंगे। व्यापारियों ने अब हमारी उपज के लिए कम कीमत बतानी शुरू कर दी है।

प्याज का रकबा घटने की खबरों से कीमत में आई तेजी 

गौरतलब है कि प्याज का खुदरा बिक्री मूल्य शनिवार को दिल्ली में 37 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। वित्त मंत्रालय ने एक सीमा शुल्क अधिसूचना के जरिए 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया। चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया है। मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्याज का भाव दिल्ली में शनिवार को 37 रुपये प्रति किलोग्राम था। चालू खरीफ सत्र में प्याज का रकबा घटने की खबरों के बीच प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं।

तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक 

सरकार ने इस साल तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए रखा है। उसने पिछले सप्ताह से थोक बाजार में प्रमुख स्थानों पर इसका निपटान शुरू कर दिया है। सचिव ने कहा कि अब तक दिल्ली, असम, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की थोक मंडियों में 2,000 टन बफर प्याज बेचा जा चुका है। बफर प्याज का उपयोग आमतौर पर अगस्त और सितंबर से लेकर अक्टूबर में नयी फसल के आऩे तक किया जाता है। प्याज हमेशा राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह प्रतिबंध महत्वपूर्ण है।

खुदरा महंगाई रिकॉर्ड हाई पर पहुंची 

जुलाई में खुदरा महंगाई की दर कई महीनों के बाद 7 फीसदी के पार निकल गई थीं पिछले महीने खुदरा मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी हो गया है। यह 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई के मुद्रास्फीति बैंड ने पांच महीनों में पहली बार 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत को पार कर लिया है। ऐसे में इसे काबू पाने के लिए सरकार और आरबीआई हर संभव कदम उठा रही है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने भी खुदरा बाजार में प्याज की बिक्री शुरू कर दी है। 

पांच लाख टन ‘बफर स्टॉक’ का लक्ष्य 

सरकार इस साल प्याज का ‘बफर स्टॉक’ पांच लाख टन करने के लिए दो लाख टन अतरिक्त प्याज खरीदेगी और खुदरा बिक्री में इसका उपयोग करेगी। सरकार ने रविवार को यह घोषणा की। चालू वित्त वर्ष के लिए प्याज के ‘बफर स्टॉक’ के लिए लक्ष्य तीन लाख टन रखा गया था, जो हासिल कर लिया गया है। फिलहाल इस ‘बफर स्टॉक’ को चुनिंदा राज्यों के लक्षित बाजारों में स्थानीय आपूर्ति सुधारने और मूल्य वृद्धि पर लगाम कसने के लिए खपाया जा रहा है।