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Hindi News Explainers जो प्रक्रिया थी गैर-क़ानूनी, अब वही बनी 41 मजदूरों के लिए वरदान, रैट माइनर्स ने बचाव अभियान में निभाई अहम भूमिका

जो प्रक्रिया थी गैर-क़ानूनी, अब वही बनी 41 मजदूरों के लिए वरदान, रैट माइनर्स ने बचाव अभियान में निभाई अहम भूमिका

बचाव अभियान में भारी भरकम मशीनों के फेल हो जाने के बाद अब सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को लगाया गया है जो चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम है।

रैट माइनर्स ने बचाव अभियान में निभाई अहम भूमिका- India TV Hindi Image Source : INDIA TV रैट माइनर्स ने बचाव अभियान में निभाई अहम भूमिका

उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में मजदूरों को निकालने का अभियान अपने अंतिम चरण में है। यहां 41 मजदुर पिछले 17 दिनों से फंसे हुए हैं। इन्हें सही सलामत बाहर निकालने के लिए सभी प्रेस किए गए। विदेशों से जानकार और मशीनें मंगवाई गईं। अमेरिकी ऑगर कई दिनों दहाडा और काफी हद तक उसने मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रास्ता भी तैयार कर दिया। लेकिन अंतिम समय में उसने भी दम तोड़ दिया। 

अब सभी के सामने एक ही समस्या थी कि इतने दिनों से सकारात्मक परिणाम दे रहा अभियान कहीं विफल ना हो जाए। कहीं अब हम इन 41 मजदूरों को खो ना दें। इसी वक्त एक फैसल लिया जाता है कि अब जितनी भी दूरी पर मलबा है, उसे मैनुअल हत्या जाएगा। यह काम के लिए जो तरीका अपनाया गया, वह हमारे देश में गैर-क़ानूनी है। लेकिन इन मजदूरों की जान बचाने के लिए सरकार ने इस गैर-क़ानूनी तरीके का सहारा लेने में कोई गुरेज नहीं की। इसके पीछे एक ही वजह थी, वह मलबे के पीछे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालना।

यह गैर-क़ानूनी तरीका कोई और नहीं बल्कि रैट माइनिंग

यह गैर-क़ानूनी तरीका कोई और नहीं बल्कि रैट माइनिंग थी। इस तरीके पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने रोक लगाई थी। लेकिन सरकार ने केवल इस अभियान के लिए इस तरीके को अनुमति दी। अनुमति मिलने के बाद सोमवार को यहां 12 रैट माइनर्स की टीम को तैनात किया गया। जो रोटेशन के आधार पर 24 घंटे खुदाई कर रही है। इन्होंने मैनुअल ड्रिल करके 10 मीटर का रास्ता बनाया और पाइप को अंदर की और ढकेला गया और अभी भी यही लोग मोर्चा संभाले हुए हैं।

Image Source : ptiउत्तरकाशी टनल ऑपरेशन

मंगलवार को NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि रैट माइनिंग गैर-क़ानूनी है लेकिन हम इस तरीके लोगों की जान बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 41 मजदूरों को टनल से सही सलामत निकालने के लिए जो भी संभव तरीके हैं, वह सभी अपनाए गए हैं और इसके लिए सरकार ने विशेष अनुमति दी थी। उन्होंने कहा कि इस तरीके से हम उन श्रमिकों के और भी करीब पहुंच गए हैं और जल्द ही सफल भी होंगे।

रैट माइनिंग क्या है?

यह माइन‍िंग का एक तरीका है जिसका इस्‍तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। 'रैट-होल' टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है। एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्‍तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है।

Image Source : ptiउत्तरकाशी टनल ऑपरेशन

दरअसल, मेघालय में जयंतिया पहाड़ियों के इलाके में बहुत सी गैरकानूनी कोयला खदाने हैं लेकिन पहाड़ियों पर होने के चलते और यहां मशीने ले जाने से बचने के चलते सीधे मजदूरों से काम लेना ज्यादा आसान पड़ता है। मजदूर लेटकर इन खदानों में घुसते हैं। चूंकि, मजदूर चूहों की तरह इन खदानों में घुसते हैं इसलिए इसे ‘रैट माइनिंग’ कहा जाता है। 2018 में जब मेघालय में खदान में 15 मजदूर फंस गए थे, तब भी इसी रैट माइनिंग का सहारा लिया गया था।