IPL 2017: जानें पुणे के स्टार राहुल त्रिपाठी के बारे में 10 अनजानी बातें

  • आईपीएल में कोलकाता के ख़िलाफ़ 93 रनों की शानदार पारी खेलने वाले राहुल त्रिपाठी ने अपने प्रदर्शन से सबको हैरान और प्रभावित कर दिया है। राहुल के 93 रन (52 गेंद, 9 चौके और तीन छक्‍के) की बदौलत राइजिंग पुणे सुपरजाइंट ने आईपीएल-10 के मुकाबले में कोलकाता नाइटराइडर्स को चार विकेट से हरा दिया. पुणे की टीम ने 19.2 ओवर में 6 विकेट खोकर जीत के लिए जरूरी 156 रन का लक्ष्‍य हासिल कर लिया। बहुत कम लोगों को इस युवा खिलाड़ी के बारे में ये 10 बातें पता हैं।

  • राहुल त्रिपाठी भारत के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी के शहर रांची में ही पैदा हुए थे। राहुल का जन्म 2 मार्च 1991 को हुआ और यहीं उन्हें शुरू में क्रिकेट खेलने का शौक पैदा हुआ।

  • राहुल त्रिपाठी के पिता अजय त्रिपाठी भारतीय सेना में हैं। वह खुद एक क्रिकेटर रहे हैं हालांकि उन्होंने कभी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेला पर उत्तर प्रदेश के लिए उन्होंने जूनियर क्रिकेट और अपनी युनिवर्सिटी की टीम में भी शामिल रहे।

  • सेना में होने के कारण राहुल त्रिपाठी के पिता का लगातार ट्रांसफर होता रहा। आखिरकार जब वह पुणे आए तब राहुल का क्रिकेट भी परवान चढ़ा और उन्हें शहर के सबसे पुराने क्रिकेट क्लब डेक्कल जिमखाना से खेलना का मोका मिला।

  • 4.1 ओवर की 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड बहुत कम लोग कर पाए हैं. पर राहुल त्रिपाठी ने यह कारनामा अपने करियर में एक नहीं बल्कि दो-दो बार किया है। हालांकि उन्होंने ये कमाल लोकल प्रतियोगिताओं में किया है पर इस कारनामे से उनमें गजब का विश्वास पैदा हुआ।

  • पुणे की टीम ने उन्हें सिर्फ़ 10 लाख रुपये में खरीदा, पर इस समय वह इस लीग के सबसे पैसा वसूल खिलाड़ी के रूप में साबित हुए हैं। अभी तक 9 मुकाबलों में उन्होंने 352 रन बनाए हैं और स्मिथ, धोनी, रहाणे को पीछे छोड़ दिया है। वह टीम के सबसे सफल बल्लेबाज़ के रूप में सामने आए हैं।

  • खेल के साथ-साथ राहुल पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रहे हैं। वे कई कई बार 20-20 घंटे पढ़ाई भी करते थे। क्लास में हमेशा उनकी टॉप 5 में रैंक रही। राहुल मैथ्स में बहुत अच्छे हैं। इसमें उनके हमेशा 90 परसेंट से ऊपर मार्क्स आते रहे। क्रिकेटर के अलावा वे इंजीनियर बनना चाहते थे। राहुल की स्कूलिंग आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई है।

  • महाराष्ट्र टीम के लिए राहुल का सिलेक्शन साल 2003 में हुआ। उस वक्त वे सिर्फ 14 साल के थे। पुणे के नेहरु स्टेडियम में ट्रायल चल रहे थे और उन्हें लास्ट डे इनका पता चला। इसी दिन राहुल का एग्जाम भी था। उन्हें किसी तरह इसकी जानकारी हुई और वे अपना पेपर आधे घंटे पहले खत्म कर मेरे साथ नेहरु स्टेडियम पहुंचे। वहां सिलेक्शन प्रोसेस लगभग खत्म हो रहा था। सिलेक्टर्स से रिक्वेस्ट करने पर राहुल को दो बाल खेलने की अनुमति मिली। इसके बाद उनकी बैटिंग स्टाइल को देख दो और बॉल खेले के मंजूरी दी। उनकी बैटिंग से सिलेक्टर्स इतने प्रभावित हुए की उन्हें पूरा ओवर खिलवाया और उन्हें शाम तक रुकने के लिए कहा। शाम को राहुल का फिर ट्रायल हुआ और उन्होंने तकरीबन 2000 क्रिकेटरों को पछाड़ा टॉप 80 में जगह बनाई। इसके बाद तीन दिन तक उनके ट्रायल हुए और पहले वे टॉप 44 में पहुंचे और फिर पुणे के टॉप फाइव प्लेयर ग्रुप का हिस्सा बने।

  • राहुल का सबसे यादगार मैच 2014 में खेला गया सीके नायडू कप था। उन्होंने इसमें 4 सेंचुरी बनाई थी। उनकी बदौलत महाराष्ट्र चैंपियन बनी। फाइनल में भी राहुल ने 282 रन बनाए थे। इसी साल राहुल को बीसीसीआई की ओर से बेस्ट क्रिकेटर ऑफ द इयर के खिताब से नवाजा गया और बीपीसीएल ने उन्हें क्रिकेट के लिए स्कॉलरशिप दी।

  • राहुल जब 9 महीने के थे तभी उन्होंने प्लास्टिक के बैट से खेलना शुरू कर दिया था। उसे दूसरे खिलौने कभी पसंद नहीं आए। थोड़ा बड़े होने पर राहुल अक्सर पेंसिल को विकेट, स्केल को बैट और रबर को बॉल बना कर खेला करते थे।

  • गैंगटोक में पोस्टिंग के दौरान हिल पर घर था और राहुल ने क्रिकेट प्रैक्टिस के चक्कर में तकरीबन 500 बॉल्स गुम करवाई।