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Hindi News भारत राष्ट्रीय छत्तीसगढ़: कुख्यात नक्सली पहाड़ सिंह ने किया सरेंडर, 47 लाख रुपये का था इनाम

छत्तीसगढ़: कुख्यात नक्सली पहाड़ सिंह ने किया सरेंडर, 47 लाख रुपये का था इनाम

छत्तीसगढ़ के दुर्ग क्षेत्र में 47 लाख रुपये के इनामी नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।

naxal having a bounty of Rs 47 lakh surrendered before the police in Chhattisgarh- India TV Hindi Image Source : ANI naxal having a bounty of Rs 47 lakh surrendered before the police in Chhattisgarh

रायपुर: छत्तीसगढ़ के दुर्ग क्षेत्र में 47 लाख रुपये के इनामी नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। दुर्ग क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक जी पी सिंह ने आज ‘भाषा’ को दूरभाष पर बताया कि तीन राज्यों में कुल 47 लाख के इनामी नक्सली पहाड़ सिंह ने आज पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। सिंह ने बताया कि क्षेत्र के राजनांदगांव जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे नक्सल अभियान में बड़ी कामयाबी मिली है। क्षेत्र में लाल आतंक का पर्याय बन चुके एमएमसी जोन के एसजेडसी सदस्य और जीआरबी डिवीजनल कमेटी के सचिव पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय उर्फ राममोहम्मद सिंह टोप्पो ने पुलिस दबाव और छत्तीसगढ़ शासन की आत्म समर्पण तथा पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आज पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय कतलाम राजनांदगांव जिले के गैंदाटोला थाना के अन्तर्गत फाफामार गांव का निवासी है। 

पहाड़ सिंह को वर्ष 2000 में देवरी दलम सदस्य के रूप में नक्सली संगठन में भर्ती किया गया और 8 एमएम बंदूक देकर देवरी दलम में पायलट का काम सौंपा गया। वर्ष 2003 में देवरी एरिया कमेटी सदस्य बनाया गया। वर्ष 2006 में डिवीजन अधिवेशन (प्लीनम) में सर्वसम्मति से टाण्डा मलाजखण्ड सयुक्त एरिया कमेटी सचिव की जवाबदारी उसे दी गई। वर्ष 2008 में टिपागढ़ में उत्तर गढ़चिरौली गोंदिया डिवीजन के प्लीनम में डिवीजन सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। 

वर्ष 2014 में केन्द्रीय कमेटी के निर्णय व नक्सलियों की विस्तार रणनीति के तहत नक्सलियों द्वारा महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के ट्राई जंक्शन को केन्द्र मानकर एमएमसी जोन बनाने का निर्णय लिया गया। जिसमें विस्तार क्षेत्र को आगे बढ़ाने व जनाधार को मजबूत करने के लिये पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय को एमएमसी जोन के अन्तर्गत जीआरबी डिवीजनल कमेटी का सचिव बनाया गया। 

पहाड़ सिंह ने पुलिस को बताया कि उसे नक्सल आंदोलन को तेज गति प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई थी। ऊपर स्तर के आदिवासी लीडर होने के बावजूद सेन्ट्रल कमेटी में पदस्थ आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के बड़े नक्सली नेताओं द्वारा उसे हमेशा शक की नजर से देखा जाता था। तथा पुलिस मुखबिर होने की भी शंका करते थे। 

पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय ने बताया कि सीसीएम नेताओं द्वारा क्षेत्रीय कैडरों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है। उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। साथ ही उन्हें समय समय पर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था, तथा डिवीजन के सचिव होने के नाते डिवीजन में नक्सलियों के विरूद्ध कोई भी घटना होने पर उसे ही उसका सम्पूर्ण रूप से जवाबदार ठहराया जाता रहा। जिससे वह मानसिक रूप से परेशान रहता था। 

उसने बताया कि उसने इन बातो से व्यथित होकर नक्सल आंदोलन छोड़कर राष्ट्र की मुख्य धारा में जुड़ने का संकल्प लिया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह बात सत्य है कि पहाड़ सिंह के नक्सली संगठन छोडने के बाद नक्सलियों को बहुत बड़ा झटका लगा है जिससे एमएमसी जोन के विस्तार क्षेत्रों में यह आंदोलन लगभग जनाधार विहीन हो गया है। 

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