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Hindi News भारत राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के लिए भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को नोबल पुरस्कार की घोषणा

अर्थशास्त्र के लिए भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को नोबल पुरस्कार की घोषणा

अर्थशास्त्र के लिए सोमवार को नोबल प्राइस की घोषणा कर दी गई है। इस साल भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभीजित बनर्जी को सहित एस्तेर डफ़्लो और माइकल क्रेमर को "वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए" सम्मानित किया जाएगा।

<p>Nobel Prize for Economic Sciences awarded to Abhijit...- India TV Hindi Image Source : @NOBELPRIZE Nobel Prize for Economic Sciences awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer

नई दिल्ली: भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया जाएगा। तीनों अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों के लिये दिया जाएगा। अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिए जाने के ऐलान के बाद उनकी मां ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। यह पूरे परिवार के लिए एक बड़ा गौरव है।

नोबेल समिति के सोमवार को जारी एक बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। बयान के मुताबिक, ‘‘इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नये प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।’’ बनर्जी, 58 वर्ष, ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। 

बनर्जी ने वर्ष 2003 में डुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना की। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एक हैं। बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं।

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