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Hindi News भारत राष्ट्रीय औरंगाबाद हादसा: मजदूर घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि स्पेशल ट्रेन में एक शव के रूप में

औरंगाबाद हादसा: मजदूर घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि स्पेशल ट्रेन में एक शव के रूप में

लॉकडाउन के चलते ट्रेन या कोई और साधन नहीं मिलने के कारण उन्होंने महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश में अपने घर आने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था वे अपने घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि विशेष रेलगाड़ी में एक शव के रूप में।

<p>Aurangabad Train Accident</p>- India TV Hindi Image Source : PTI Aurangabad Train Accident

शहडोल/ उमरिया (मप्र): लॉकडाउन के चलते ट्रेन या कोई और साधन नहीं मिलने के कारण उन्होंने महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश में अपने घर आने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था वे अपने घर तो पहुंचे लेकिन जिंदा नहीं बल्कि विशेष रेलगाड़ी में एक शव के रूप में। एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल हादसे में मारे गए मध्यप्रदेश के 16 प्रवासी श्रमिकों के शव दो डिब्बों में पहले एक विशेष रेलगाड़ी में जबलपुर तक लाए गए फिर आगे शहडोल और उमरिया लाए गए।

उन्होंने बताया कि पांच शवों को लेकर एक बोगी दोपहर करीब तीन बजे उमरिया पहुंची। उमरिया के जिलाधिकारी ने शवों को एम्बुलेंस में उनके गांव भेजने की व्यवस्था की। उमरिया जिले के पांच मृतक युवक मामन और चिल्हारी गांव के रहने वाले हैं जबकि दूसरी बोगी 11 शवों को लेकर लगभग चार बजे शहडोल पहुंची। स्थानीय सांसद हिमाद्री सिंह और वरिष्ठ अधिकारी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे।

शहडोल जिले के 11 मृतक शाहरगढ़ और अंतोली गांव के रहने वाले थे। शहडोल और उमरिया दोनों जिलों के कुछ अधिकारी एम्बुलेंस में शवों के साथ संबंधित गांवों तक गए और परिजन को सांत्वना दी। मृतकों के पैतृक गांवों में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 20 मजदूरों के इस समूह में केवल चार ही जीवित बचे क्योंकि ये पटरियों से दूर सो रहे थे। भुसावल की ओर पैदल जा रहे ये मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। पुलिस से बचने के लिए वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। ये सभी महाराष्ट्र के जालना की एक इस्पात कारखाने में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद मध्यप्रदेश में अपने घरों को लौट रहे थे।

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