नई दिल्ली: इस्लामाबाद में नवंबर में होने जा रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) शिखर सम्मेलन में भारत के भाग नहीं लेने के फैसले को पड़ोसी देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान से समर्थन मिला है, और सूत्रों के मुताबिक इन देशों ने भी सम्मेलन में शिरकत नहीं करने का निर्णय किया है।
सार्क सम्मेलन के सिलसिले में बांग्लादेश ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उनका देश हमेशा से आगे रहा है। दक्षिण एशिया की तरक्की के लिए संबंधित देशों का एक साथ होना जरूरी है। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह की घटनाएं घटी हैं, उस माहौल में हम किसी सार्थक परिणाम की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
वहीं भूटान ने कहा कि हाल के दिनों में आतंकी हमले से बातचीत के माहौल पर बुरा असर पड़ा है। इस तरह के हमलों के बाद किसी सार्थक परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सार्क सम्मेलन के सफल होने के लिए जरूरी है कि दक्षिण एशिया में शांति और सद्भाव का माहौल हो।
बता दें कि यह सम्मेलन तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसके सभी सदस्य देश शामिल नहीं होते। वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है कि सार्क सम्मेलन रद्द हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है और कई बार सार्क सम्मेलन देर से भी हुए हैं। लेकिन इस बार आसार नहीं लग रहे कि देर से भी इस साल ये सम्मेलन हो सकता है।
इससे पहले भारत सरकार ने मंगलवार को घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नंवबर में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे। 'सीमा पार से जारी आंतकी हमले' से पैदा वातावरण आठ राष्ट्रों के इस समूह के सम्मेलन के लिए 'अनुकूल नहीं' है।
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