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Hindi News भारत राष्ट्रीय नक्सलियों ने ऑडियो जारी कर बताया क्यों किया सुकमा में हमला

नक्सलियों ने ऑडियो जारी कर बताया क्यों किया सुकमा में हमला

छत्तीसगढ़ के सुकमा हमले के बाद गुरुवार को नक्सलियों के हमले में 25 सैनिकों के शहीद होने के बाद मामला तब और गंभीर हो गया जब नक्सलियों ने हमला कर जवानों के मृतक शरीर को क्षत विक्षत कर दिया।

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा हमले के बाद गुरुवार को नक्सलियों के हमले में 25 सैनिकों के शहीद होने के बाद मामला तब और गंभीर हो गया जब नक्सलियों ने हमला कर जवानों के मृतक शरीर को क्षत विक्षत कर दिया। संदेह होने लगा कि कहीं नक्सलियों के आड़ में किसी अन्य मंसूबे को तो अंजाम नहीं दिया गया। वहीं नक्सलियों की ओर से एक ऑडियो क्लिप के जरिए बयान जारी किया गया है। इस क्लिप में नक्सलियों के प्रवक्ता विकल्प ने कहा है कि नक्सलियों ने यह हमला सुरक्षा बलों की ओर से की जा रही कार्रवाई के विरोध में किया है। नक्सलियों का कहना है कि पिछले साल छत्तीसगढ़ में मारे गए 9 नक्सलियों और फिर ओडिशा में कथित रूप से 9 ग्रामीणों समेत कुल 21 लोगों के मारे जाने के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है। (...अब वीरप्पन को मारने वाला यह IPS ऑफिसर लेगा सुकमा का बदला)

6 मिनट के ऑडियो में नक्सलियों ने इस बात का खंडन किया कि किसी जवान का शरीर क्षत-विक्षत किया गया। उन्होने कहा कि नक्सली कभी किसी जवान के शरीर के साथ ऐसा नहीं करता है। गौर हो कि नक्सली हमले के बाद कई जवानों के शरीर क्षत-विक्षत हालत में मिले थे। एक जवान का प्राइवेट पार्ट भी काट दिया गया था। (नक्सलियों की हैवानियत, काटे जवानों के प्राइवेट पार्ट्स, शवों का गला भी रेता)

सूत्रों के मुताबिक- गांव वालों और पुलिस के कुछ लोगों ने मौके पर गए स्थानीय पत्रकारों को बताया था कि करीब 6 जवानों के शवों को क्षत-विक्षत किया गया। छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों ने इस घटना का खंडन नहीं किया है लेकिन कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतज़ार करना होगा। (नक्सलियों से बदला लेने के लिये CRPF को मिली 75 दिनों की खुली छूट!)

हालांकि मंगलवार को मीडिया को दिये एक बयान में सीआरपीएफ के डीआईजी डीपी उपाध्याय ने जवानों के साथ बर्बरता की बात मानी थी लेकिन सीआरपीएफ के कार्यवाहक डीजी सुदीप लखटकिया ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वो अभी कुछ नहीं कह सकते।

ऑडियो में नक्सलियों ने आगे कहा कि बस्तर के सुदूर इलाकों में पुल-पुलिया, सड़क, रेल नेटवर्क आदि जनता की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि अर्धसैन्य बलों की आवाजाही के लिए बनाए जा रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की कोशिश की जा रही है। सरकार के मार्गदर्शन में मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, विपक्षी राजनीतिक दलों को पुलिस निशाना बना रही है।

नक्सलियों ने मानवाधिकार संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं, वकीलों, पत्रकारों, राजनीतिक दलों, फिल्म कलाकारों से अपील की है कि नक्सल हमलों को जनता के हित के रूप में देखें और समझें। हम हिंसावादी नहीं हैं, लेकिन कॉर्पोरेट घरानों का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा तैयार किए गए माहौल का जवाब इस रास्ते दिया जा रहा है।

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