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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत में हैजा रोकने में मददगार होगी AI तकनीक, पूर्वानुमान लगाना संभव: अध्ययन

भारत में हैजा रोकने में मददगार होगी AI तकनीक, पूर्वानुमान लगाना संभव: अध्ययन

<p>Cholera</p>- India TV Hindi Image Source : FILE Cholera

नयी दिल्ली। पृथ्वी का चक्कर लगा रहे उपग्रहों से प्राप्त जलवायु के आंकड़ों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक के प्रयोग से भारत के तटीय क्षेत्रों में हैजा महामारी फैलने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई। ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पहली बार यह बताया गया है कि समुद्र की सतह पर मौजूद नमक की मात्रा से हैजा फैलने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। 

ब्रिटेन स्थित ‘यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी जलवायु कार्यालय’ और ‘प्लाइमाउथ समुद्री प्रयोगशाला’ के अनुसंधानकर्ताओं ने उत्तरी हिंद महासागर के आसपास हैजा के फैलने पर अध्ययन किया और पाया कि 2010-16 के दौरान वैश्विक स्तर पर हैजा के जितने मामले सामने आए उनके आधे से अधिक मामले इस क्षेत्र में सामने आए। अनुसंधानकर्ता एमी कैंपबेल ने कहा, “इस मॉडल से संतोषजनक नतीजे मिले हैं और हैजा से संबंधित विभिन्न आंकड़ों के उपयोग से इसमें बहुत सारी संभावनाएं हैं।” 

हैजा, पानी से फैलने वाला रोग है जो दूषित जल पीने या खाना खाने से फैलता है। इसके लिए ‘विब्रियो कालरी’ नामक बैक्टीरिया जिम्मेदार है जो दुनिया के कई तटीय इलाकों विशेषकर घनी आबादी वाले उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया गर्म और हल्के नमकीन पानी में जीवित रह सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक ऊष्मा और मौसम में आ रहे बदलाव के कारण हैजा को फैलने में मदद मिल रही है। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 13 लाख से 40 लाख लोग इस महामारी की चपेट में आते हैं जिनमें से 1,43,000 लोगों की मौत हो जाती है। 

उन्होंने कहा कि एक समयसीमा के भीतर हैजा के नए मामलों और उस पर पड़ने वाले पर्यावरण के प्रभाव के बीच जटिल संबंध हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ‘मशीन लर्निंग एल्गोरिदम’ के जरिये महामारी के फैलने का पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिल सकती है। 

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