लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने डेंगू के खतरे से निपटने के लिए समुचित कदम नहीं उठाने, केंद्रीय राशि खर्च नहीं करने और मच्छर जनित बीमारी से मरने वालों के फर्जी आंकड़े पेश करने के लिए उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को फटकार लगाई।
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मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को पेश आंकड़ों पर अदालत ने न केवल अप्रसन्नता जताई, बल्कि कहा कि अदालत को इस पर भरोसा नहीं है। इसके बाद इस मामले की पड़ताल के लिए अदालत ने विशेषज्ञों की अपनी समिति बनाने का फैसला किया।
न्यायमूर्ति ए.पी. शाही और न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय की पीठ ने कहा कि अदालत के पास समय है और इस मुद्दे पर उसने स्वास्थ्य विभाग एवं संबद्ध अधिकारी को पुन: समय दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को डेंगू से हुई मौतों पर 25 अक्टूबर को एक ताजा रिपोर्ट पेश करने कहा और विशेषज्ञ समिति के हिस्सा बनने लायक लोगों के नाम सुझाने को भी कहा।
अदालत ने कहा कि प्रधान सचिव स्वास्थ्य, नगर विकास विभाग के सचिव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ और अन्य निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए हलफनामे केवल कागजी कार्य और लीपापोती हैं।
बताया जाता है कि अकेले लखनऊ शहर में ही डेंगू के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 2000 लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। लेकिन, एजेंसियां मौतों को स्वीकार नहीं कर रही हैं। अदालत ने कहा कि बेहतर होता अगर सरकार और अधिकारी गलत आंकड़े देने की जगह खतरे से निपटने के लिए काम कर रहे होते।
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