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जम्मू में Coronavirus से अपने गांव की सुरक्षा के लिए महिलाओं ने लाठियों के साथ संभाला मोर्चा

जम्मू में निवासियों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए अपने गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने और पूर्ण लॉकडाउन सुनिश्चित करने के लिए एक गांव की महिलाओं ने लाठियों के साथ प्रवेश केंद्रों पर मोर्चा संभाल लिया है और उन्होंने गांव में प्रवेश के रास्तों को कंटीले तारों से बंद कर दिया है।

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चट्टा पिंड (जम्मू): जम्मू में निवासियों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए अपने गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने और पूर्ण लॉकडाउन सुनिश्चित करने के लिए एक गांव की महिलाओं ने लाठियों के साथ प्रवेश केंद्रों पर मोर्चा संभाल लिया है और उन्होंने गांव में प्रवेश के रास्तों को कंटीले तारों से बंद कर दिया है। जम्मू में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने पर शहर से महज कुछ किलोमीटर दूर गांव में माताओं और बेटियों ने यह काम संभाला है। जम्मू में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 61 वर्षीय महिला की कोरोना वायरस से बुधवार को मौत हो गई। इससे जम्मू कश्मीर में इस संक्रामक रोग से मरने वाले लोगों की संख्या चार हो गई है। यह जम्मू क्षेत्र में मौत का पहला मामला है क्योंकि अन्य तीन लोगों की मौत कश्मीर में हुई है। 

जम्मू में अभी तक 36 लोग संक्रमित पाए गए हैं जबकि केंद्र शासित प्रदेश में कोरोना वायरस के 188 मामले दर्ज किए गए हैं। बृहस्पतिवार को 24 मामले सामने आए। पिछले कुछ दिनों से पूर्व सरपंच गुरमीत कौर के नेतृत्व में महिलाओं का एक समूह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक अपने गांव की सुरक्षा में तैनात रहता है। 

6,500 से अधिक आबादी वाले इस इलाके के प्रवेश केंद्रों को कंटीली तारों से बंद कर दिया गया है। कौर ने बताया, ‘‘कोविड-19 जानलेवा बीमारी है। कोरोना वायरस के खिलाफ इस युद्ध में अपने पुलिस बल और सरकार का समर्थन करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए हमने अपने छोटे-से इलाके की सुरक्षा करने और बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने का जिम्मा लिया है।’’ 

उन्होंने बताया कि जागरूकता के बावजूद कुछ लोग एहतियात नहीं बरत रहे हैं और घूम रहे है जिससे न केवल वे संक्रमित हो सकते हैं बल्कि उनका परिवार और इलाके के लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। कौर (55) ने कहा कि पुलिस लॉकडाउन सुनिश्चित करने के लिए गांवों, इलाकों या गलियों की सुरक्षा नहीं कर सकती। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने इलाके की रक्षा करने और पुलिस को राहत देने में थोड़ा योगदान दें जो बंद के इस समय में बड़े पैमाने पर ड्यूटी कर रही है। कम से कम हम अपने इलाके की सुरक्षा तो कर ही सकते हैं।’’

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