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Hindi News भारत राष्ट्रीय ब्रम्हपुत्र महोत्सव के जरिए आर्थिक सुधारों पर रही असम सरकार की नजर

ब्रम्हपुत्र महोत्सव के जरिए आर्थिक सुधारों पर रही असम सरकार की नजर

उत्तर-पूर्वी राज्यों का प्रवेश द्वार असम नमामि ब्रह्मपुत्र के रूप में न सिर्फ देश के सबसे बड़े रिवर फेस्टिवल बल्कि राज्य के इतिहास में अबतक के सबसे भव्य आयोजन का साक्षी बना।

Pranab Mukherjee and Sarbananda Sonowal- India TV Hindi Pranab Mukherjee and Sarbananda Sonowal

गुवाहाटी: उत्तर-पूर्वी राज्यों का प्रवेश द्वार असम नमामि ब्रह्मपुत्र के रूप में न सिर्फ देश के सबसे बड़े रिवर फेस्टिवल बल्कि राज्य के इतिहास में अबतक के सबसे भव्य आयोजन का साक्षी बना। 31 मार्च से 4 अप्रैल तक ब्रह्मपुत्र के तट पर बसे 21 जिलों के साथ ही गुवाहाटी के राजदुवार तट पर इस 5 दिवसीय रंगारंग महोत्सव के जरिए असम की सर्वानंद सरकार देश-दुनिया का ध्यान व्यापार, निवेश, पर्यटन और संस्कृति में राज्य की असीम क्षमता प्रदर्शित करने में कामयाब रही। 

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नमामि ब्रह्मपुत्र महोत्सव में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, भूटान के प्रधान सेरीन टोबगे, नितिन गडकरी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों, कई राज्यों के मुख्य और अन्य मंत्री, योग गुरु बाबा रामदेव, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा समेत कई लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। गंगा की तर्ज पर ब्रह्मपुत्र आरती, भावपूर्ण अर्चना, रोमांचकारी जलक्रीड़ाएं एवं करतब, पारंपरिक खेल, खानपान, विविध लोक नृत्य-संगीत के वृहत कार्यक्रम, पपेट शो, लेजर शो, आकर्षक झांकियां, जैविक चाय की प्रदर्शनी, हथकरघा और हस्तशिल्प, फिल्म समारोह, नयनाभिराम साज सज्जा, अलग अलग ट्रेड और विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए सेमिनार के कई कार्यक्रम इस महोत्सव की खास बातें रहीं।

Namami Brahmaputra

इतने बड़े ताम-झाम वाले इस आयोजन के पीछे राज्य सरकार की मंशा राज्य में ब्रह्मपुत्र के जरिए समृद्धि लाने की है। इस महोत्सव का विजन असम को देश-दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने के साथ ही ट्रेड हब के तौर पर विकसित करने का रहा। आपको बता दें कि राष्ट्रीय जलमार्ग-2 असम के सदिया को धुबरी से दक्षिण-पूरब एशियाई बाजारों में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत जोड़ने का काम करता है। यह जलमार्ग केवल असम-आसियान सहयोग केन्द्र ही नहीं हैं बल्कि दुनिया भर के निवेश को अपनी और आकर्षित भी करता है। 

क्यों खास है ब्रम्हापुत्र नदी
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के दक्षिण में मानसरोवर के निकट चेमा-युंगदुंग नामक हिमनद (Chema-Yungdung Glacier) से हुआ है।इसका नाम तिब्बत में सांग्पो, अरुणाचल प्रदेश में डिहं और असम में ब्रह्मपुत्र है। संस्कृत में ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा का पुत्र होता है।यह नदी 1625 किलोमीटर तक चीन में, 918 किलोमीटर तक भारत में और 337 किलोमीटर तक बांग्लादेश में प्रवाहित होती है। ब्रह्मपुत्र नद अत्याधुनिक वाटर क्रूज और तटीय इलाकों के कुदरती सौंदर्य के साथ सैलानियों को लुभाने की बेहतर संभावनाएं से भरा है। इसकी सहायक नदियां जिया भराली और कोपिला वाटर राफ्टिंग के लिए आदर्श नदियां हैं।

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