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Hindi News भारत राष्ट्रीय मकर संक्रांति पर शहर-शहर चाइनीज़ मांझे का कहर, कहीं गर्दन काटी तो कहीं आंख लहूलुहान

मकर संक्रांति पर शहर-शहर चाइनीज़ मांझे का कहर, कहीं गर्दन काटी तो कहीं आंख लहूलुहान

पूरे देश में चाइनीज मांझे पर बैन है लेकिन आज भी चाइनीज मांझे की खुलेआम बिक्री हो रही जिसकी वजह से लोगों की जान जा रही है। देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति के मौके पर बड़े पैमाने पर पतंग उड़ाई जाती है और एक बार फिर ये कई लोगों के लिए जानलेवा बन गई। 

मकर संक्रांति पर शहर-शहर चाइनीज़ मांझे का कहर, कहीं गर्दन काटी तो कहीं आंख लहूलुहान- India TV Hindi मकर संक्रांति पर शहर-शहर चाइनीज़ मांझे का कहर, कहीं गर्दन काटी तो कहीं आंख लहूलुहान

नई दिल्ली: पूरे देश में चाइनीज मांझे पर बैन है लेकिन आज भी चाइनीज मांझे की खुलेआम बिक्री हो रही जिसकी वजह से लोगों की जान जा रही है। देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति के मौके पर बड़े पैमाने पर पतंग उड़ाई जाती है और एक बार फिर ये कई लोगों के लिए जानलेवा बन गई। गुजरात के अहमदाबाद में तीन सौ लोग घायल हो गए। पिछले दो दिनों में किसी का गला कट गया, किसी की आंखें चली गई। कान और नाक तो सैकड़ों की कट गई जिसकी वजह से गुजरात की हर गली, हर मोहल्ले में खौफ है।

अहमदाबाद में एक मोटरसाइकिल सवार के शरीर से मांझा ऐसा उलझता है कि उसने बचने की कोशिश में आगे से गुजर रही बाइकसवार को टक्कर मार दी जिसके बाद वो करीब 100 मीटर तक घसीटता चला गया। भागे-भागे लोग आए और जब तक अस्पताल में इलाज शुरु हुआ, डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी।

पतंगबाज़ों के लिए खुशियां लेकर आने वाला मांझा अहमदाबाद के बाइकसवार के लिए जान का दुश्मन बन गया। इस घटना के बाद अहमदाबाद की हालत ये है कि लोग सड़कों पर जाने से डरने लगे हैं। लोग स्कूटी और बाइक चलाने से बचने लगे हैं क्योंकि ज्यादातर सड़क पर चलने वाले और बाइकर्स ही इस मांझे का शिकार होते हैं।

अहमदाबाद की ही तरह वडो़दरा में भी एक शख्स की मौत हो गई। अहमदाबाद में 350 से ज्यादा लोग मांझे की वजह से घायल हैं। करीब 200 लीगों के इस मांझे से गले कट गए हैं। इस बार मांझे से कटने की घटनाओं में 19 प्रतिशत इज़ाफ़ा हुआ है।

शहर-शहर चाइनीज मांझा लोगों की जिंदगी की डोर काट रहा है। सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि चाइनीज मांझे की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए लेकिन इसके बावजूद बाजार में खुलेआम चाइनीज मांझे की बिक्री हो रही है और लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं।

दो सालों से चायनीज मांझे की बिक्री पर रोक है लेकिन मुश्किल ये है कि बैन के बावजूद पुलिस-प्रशासन जब धृतराष्ट्र बन जाता है तो दुकानदार भी ऐसे मांझे बड़े आराम से बेचता है और दूसरे की पतंग काटने की चाहत में लोग खरीदते भी हैं और अंजाम ये होता है कि पल भर की खुशियों के लिए दूसरे की जिंदगी को दांव पर लगा देते हैं।

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