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बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़ी, अबतक 131 बच्चों की मौत

बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार से मरनेवालों बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अबतक 131 बच्चों की मौत हो चुकी है।

बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़ी, अबतक 131 बच्चों की मौत- India TV Hindi Image Source : पीटीआई बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़ी, अबतक 131 बच्चों की मौत

नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में इनसेफेलाइटिस (चमकी बुखार) से मरनेवालों बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अबतक 131 बच्चों की मौत हो चुकी है। शहर के मुख्य अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में ही अबतक 100 बच्चों की मौत हो चुकी है। आज इस अस्पताल में चार बच्चों की मौत हुई है जबकि चमकी बुखार से पीड़ित 9 नए मरीज भर्ती हुए हैं। वहीं शहर के केजरीवाल अस्पताल में आज 20 बच्चों की मौत हो गई। केवल मुजफ्फरपुर में ही अबतक 120 बच्चों की मौत हो चुकी है।

वहीं एसकेएमसीएच में अबतक इस जानलेवा बुखार से पीड़ित 402 मरीज भर्ती कराए गए हैं जिनमें से 162 को डिस्चार्ज किया जा चुका है जबकि 94 का इलाज जारी है। 37 बच्चे आईसीयू में है जिनमें से 13 की हालत नाजुक है। आपको बता दें कि इस बुखार का प्रकोप पिछले कुछ दिनों में मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में तेजी से फैला है। 

आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुजफ्फरपुर का दौरा हालात की जानकारी ली थी। वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी यहां का दौरा किया था। 

चमकी बुखार (एक्यूट एनसिफेलाइटिस सिंड्रोम) तंत्रिका संबंधी गंभीर बीमारी है जो मस्तिष्क में सूजन पैदा करती है। एईएस के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, भ्रम की स्थिति, गर्दन में अकड़न और उल्टी शामिल है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और नाबालिगों को निशाना बनाती है और इससे मौत भी हो सकती है। 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) के अनुसार, एईएस बीमारी ज्यादातर विषाणुओं से होती है लेकिन यह जीवाणुओं, फफुंदी, रसायनों, परजीवियों, विषैले तत्वों और गैर-संक्रामक एजेंटों से भी हो सकती है। एनएचपी के अनुसार, जापानी बुखार का विषाणु भारत में एईएस का मुख्य कारण है। पोर्टल ने कहा कि भारत में एईएस के फैलने के कुछ अन्य कारण हरपीज, इंफ्लुएंजा ए, वेस्ट नील और डेंगू जैसे विषाणु हैं। हालांकि, एईएस के कई मामलों के कारणों का पता अब तक नहीं चल पाया है। (इनपुट-एजेंसी)

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