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Blog: ‘प्रोडिकल’बेटी रूबी राय

कुछ छात्र दिन-रात एक कर कठिन परिश्रम करते है। कुछ समझ के पढ़तें हैं तो कुछ रट्टू तोते की तरह कंठस्त करते हैं। पूरी लगन और मनोयोग से परीक्षा में बैठते हैं। लेकिन मजाल है की वह टॉप कर जाएं। सफलता का चरमोत्कर्ष हासिल करने के लिए सिर्फ पढ़ना नहीं..

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मीनाक्षी जोशी का विशेष ब्‍लॉग:  ‘Prodical science’ एक खास और नया किस्म का विषय है जो केवल ‘विशेष दर्जा प्राप्त’ विद्यालय में ही पढ़ाया जाता है। इस विषय में कभी-कभी खाना बनाना ,कभी-कभी विज्ञान के बारे में जानकारी दी जाती है। इस विषय को पढ़ने के लिए आपको विज्ञान का ‘वि’ और science का ‘s’ पता हो न हो लेकिन कोई दो राय नहीं कि ‘विशेष दर्जा प्राप्त’ विद्यालय में पढ़कर परीक्षा में टॉप करना आसान है। और विद्यालय अपने माता-पिता व शिक्षकों का नाम रोशन करना भी बहुत सरल होता है। तभी तो ऐसे विद्यालय की तरफ अधिक से अधिक छात्र आकर्षित होतें हैं।

कुछ छात्र दिन-रात एक कर कठिन परिश्रम करते है। कुछ समझ के पढ़तें हैं तो कुछ रट्टू तोते की तरह कंठस्त करते हैं। पूरी लगन और मनोयोग से परीक्षा में बैठते हैं। लेकिन मजाल है की वह टॉप कर जाएं। सफलता का चरमोत्कर्ष हासिल करने के लिए सिर्फ पढ़ना नहीं , खास की किस्म का विषय पढ़ना ज़रूरी होता है। ठीक वैसे ही जैसे ‘prodicalscience’ पढ़ कर रूबी रॉय ने किला फतह किया।

यह वही रूबी राय हैं जिन्होंने पूरे बिहार स्टेट बोर्ड आर्ट्स परीक्षा में टॉप किया। 500 में से 444  अंक प्राप्त किए। जिन्हें cow लिखना नहीं आता। गौ माता जिन्हें अंग्रेज़ी भाषा में ‘cow’ कहते हैं, न जाने किसने बनाई इतनी मुश्किल स्पेलिंग। cow माता भी दुःखी होंगीं।

खैर cow को जाने दीजिये, अब बात करतें है महान कवि गोस्वामी तुलसीदास की! रूबी रॉय तुलसी जी की शख्सियत से अंजान ही रहीं। prodical science में अधिक रुचि की वजह से शायद वह तुलसी को पढ़ नहीं पाई। इसलिए जब उनसे तुलसीदास पर निबंध लिखने को कहा गया तो वह केवल ‘तुलसीदास प्रणाम’ कहकर पूरा कागज़ खाली छोड़ आई। कोई बात नहीं राम-नाम भज के तुलसी का दोहा हम याद कर लेतें हैं।

“दया धर्म का मूल है,पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोड़िये,जब लग घट में प्राण।।”

परीक्षक रूबी पर दया तो दिखा ही सकते थे।क्योंकि बकौल रूबी 2 साल तक इंटर की पढ़ाई के बाद अब वो भूल गयीं हैं।उनका दिमाग नर्वस हो गया है।

भई ‘विशेष दर्जा प्राप्त’ विद्यालय पढ़ाई खूब करवाता है। भावी राजनेता तैयार करता है।क्योंकि रूबी रॉय का कहना है कि “राजनीति करने वाले राजनीति विज्ञान पढ़ते हैं!”

पृथ्वी,मौसम,होम साइंस,हिन्दी संधि विच्छेद ऐसा कुछ भी विषय नहीं था जिसका जवाब रूबी को आता हो,इसलिए उन्होनें चुप रहना मुनासिब समझा। लेकिन अपनी योग्यता पर कभी घमंड नहीं किया। रूबी ने कहा की वो मुह ढँककर परीक्षा हॉल से बाहर नहीं जाएगी। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछना चाहा तो हिम्मत और जज़्बा देखिये पत्रकारों से पूछ डाला “जवाब नहीं दूँगी तो क्या मार डालोगे?” यही हिम्मत तो देता है बच्चा राय का विद्यालय। ‘पहले चोरी फिर सीनाज़ोरी’।

शर्म आती है शिक्षा के दलालों पर जिन्होंने शिक्षा को व्यापार बना डाला है।हज़ारों बच्चों की मेहनत को शर्मिंदा किया है।धन के लालच में बिहार और शिक्षा के क्षेत्र को दागदार किया है। शर्म और घृणा ऐसे माता-पिता से भी जिन्होंने अपने बच्चों को क़ाबिलियत बढ़ाने पर ज़ोर देने से अच्छा गलत रास्ते पर चलना भला समझा।नकल के लिए भी अक्ल की ज़रूरत होती है लेकिन रूबी राय, सौरभ श्रेस्ठ (विज्ञान टॉपर) के लिए शायद काला अक्षर भैंस बराबर है।

(लेख लिखने तक रिज़ल्ट घोटाले की जाँच कर रही एसआईटी ने रूबी,सौरभ को न्यायिक हिरासत में भेजा है।बच्चा राय उनकी पत्नी व लालकेश्वर के पीए विकास को जेल भेज दिया है।कुछ और गिरफ्तारियां होनी है।)  

(ब्‍लॉग लेखिका मीनाक्षी जोशी देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में कार्यरत है और चर्चित टीवी एंकर है। )

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