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आरएसएस पर कट्टर हिन्दू और मुस्लिम विरोधी संगठन होने का आरोप लगाया जाता है, संघ ने अपने इस कार्यक्रम में आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना पर विस्तार से अपने विचार रखे।

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आरएसएस की स्थापना से अब तक जितनी आलोचना की गयी, बिना किसी आधार के किसी संगठन की नहीं की गयी। आरएसएस ने दिल्ली में तीन दिन के कार्यक्रम का आयोजन किया जिसका शीर्षक है  "भविष्य का भारत - आरएसएस का दृष्टिकोण" इस कार्यक्रम में राजनेता, धर्मगुरु, पत्रकार,बिजनेसमैन, अलग - अलग क्षेत्रों सर जुड़े विशिष्ट लोगों के अलावा विभिन्न देशों के राजदूतों को बुलाया गया है जिनके ज़रिये आरएसएस की कोशिश है अपनी बात देश दुनिया के हर तबके तक पहुंचाने की।  

आरएसएस पर कट्टर हिन्दू और मुस्लिम विरोधी संगठन होने का आरोप लगाया जाता है, संघ ने अपने इस कार्यक्रम में आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना पर विस्तार से अपने विचार रखे। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा बिना मुसलमान हिन्दू राष्ट्र नहीं, आरएसएस जिस भविष्य के भारत की बात करता है, वो मुसलमानों के साथ बनता है मुसलमानों के बिना नहीं। अपने सम्बोधन में संघ प्रमुख ने मुसलमानों को इस देश का अहम् हिस्सा माना। साथ ही तमाम ऐसी बातें कही जो आरएसएस के खिलाफ नफरत की राजनीति करने वालों की दुकान बंद कर सकती हैं। 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जून में संघ के आमंत्रण को स्वीकार कर जो पहल की है, बाकि पार्टियां और नेता अगर इसे आगे बढ़ाते हैं, तो इससे भारत का लोकतन्त्र और मजबूत होगा। लोकतंत्र में बातचीत हमेशा होनी चाहिए, आप किसी के विचार से असहमत हो सकते हैं, लेकिन लोकतंत्र में कोई अछूत नहीं होता, ये मानसिकता लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। भागवत के इस वक्तवय के बाद बाकि दलों को एक कदम आगे बढ़ाते हुए संघ को अपने मंच पे चर्चा के लिए बुलाना चाहिए, इतिहास में आरएसएस के लिए आज जैसी छुआछूत नहीं दिखती। संघ सर्व लोकयुक्त की बात करता है, मुक्त की नहीं,  यानि प्रयास सबको जोड़ने का। 

इसी कड़ी में मोहन भागवत ने आज़ादी के आंदोलन में कांग्रेस के योगदान का ज़िक्र भी किया, कहा कांग्रेस ने स्वतन्त्रा आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई, देश को कई महान हस्तियां दी, साथ ही उन पन्नों को भी पलटा, जब डॉ. हेडगेवार ने गाँधी जी के आंदोलन के समर्थन में कई बैठकें की और एक बैठक की अध्यक्षयता खुद मोती लाल नेहरू ने की थी। हिंदुत्व का मतलब जोड़ना है, हिंदुत्व किसी का विरोध करना या नीचा दिखाना नहीं, हिंदुत्व हमें एक सूत्र में बांधता है।  हमारे संविधान में भी बन्धुत्वा की बात है आरएसएस प्रमुख ने कहा  संघ संविधान का दृढ़ता से पालन करता है, उस संविधान से सब बंधे हुए हैं।

तो सब अपने -अपने रास्ते पर साथ चलें, रास्ता वो जो भारत के संविधान ने सबको दिखाया है, यही वो रास्ता है जिसमे सब साथ चलेंगे तो देश समर्थ होगा और समर्थ भारत अपने देशवासियों का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का कल्याण करेगा।

(ब्लॉग की लेखिका अर्चना सिंह इंडिया टीवी में न्यूज ऐंकर हैं। इस लेख में व्यक्त विचार उनके अपने हैं)

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