नयी दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के अधिकारियों ने आठ नवंबर और 20 नवंबर के बीच बैंकों में 8.15 करोड़ रपये मूल्य के चलन से बाहर नोट जमा कराए। एक जांच समिति ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में यह बात कही। इसके बाद दिल्ली सरकार ने जांच के लिए मामले को एसीबी को सौंप दिया।
परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि डीटीसी के कुछ वरिष्ठ अधिकारी मामले में संलिप्त हो सकते हैं। यह संकेत देता है कि या तो उन्होंने डीटीसी के बैंक खातों में रिश्वत में मिली रकम जमा की या उन्होंने कमीशन हासिल करने के लिए ऐसा किया।
गत 19 नवंबर को जैन ने डीटीसी के सीएमडी को आदेश दिया था कि वह उन आरोपों की विस्तृत जांच करें जिनमें कहा गया था कि डीटीसी के कुछ अधिकारी 500 और 1000 के पुराने नोट यात्रियों से मिले छोटे मूल्य के नोटों से बदल रहे हैं।
जैन ने कहा, सीएमडी ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है। यह दर्शाती है कि आठ से 20 नवंबर के बीच चलन से बाहर हुए नोटों के रूप में बैंकों में आठ करोड़ 14 लाख 85 हजार 500 रपये जमा किए गए। इसमें एक हजार के 33 हजार 647 नोट और 500 के 95 हजार 677 नोट जमा किए गए।
उन्होंने कहा, मैंने परिवहन आयुक्त को मामले को आगे की जांच के लिए दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को सौंपने और मामले में शामिल होने के संदिग्ध अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने को कहा है।
हालांकि खुद सरकार मानती है कि सिर्फ कंडक्टर इस तरह से काला धन सरकारी खजाने में जमा नहीं करा सकते, क्योंकि कंडक्टर यात्रियों से किराये का पैसा वसूल जरूर करता है, लेकिन इसके बाद कैशियर, डिपो मैनेजर और अकाउंट विभाग की भी इसमें भूमिका होता है।
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