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Hindi News भारत राष्ट्रीय FAO का अनुमान, टिड्डी दल बिहार और ओडिशा तक जा सकते हैं लेकिन दक्षिण भारत नहीं

FAO का अनुमान, टिड्डी दल बिहार और ओडिशा तक जा सकते हैं लेकिन दक्षिण भारत नहीं

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, टिड्डियों के झुंड के बिहार और ओडिशा तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन दक्षिण भारत में इन प्रवासी कीटों के पहुंचने की संभावना कम है।

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नई दिल्ली: खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, टिड्डियों के झुंड के बिहार और ओडिशा तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन दक्षिण भारत में इन प्रवासी कीटों के पहुंचने की संभावना कम है। एफएओ ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में, भारत में टिड्डियों के वयस्क समूहों का आना हुआ है और ये भारत-पाकिस्तान सीमा से पूर्व की ओर पलायन कर रहे हैं। एफएओ ने ताजा सूचना में कहा कि टिड्डियों के झुंड उत्तरी भारत की ओर चले गए हैं। राजस्थान के पश्चिम भाग से आये टिड्डियों के अपरिपक्व वयस्क समूह राज्य के पूर्वी हिस्से तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे मध्यवर्ती राज्यों की ओर बढ़ रहे हैं।

एफएओ ने चेतावनी दी कि टिड्डियों के झुंड के राजस्थान में जुलाई तक निरंतर आगमन के कई दौर चलेंगे तथा वे उत्तर भारत में पूर्व की ओर बिहार और ओडिशा तक फैलेंगे जिसके बाद मानसूनी हवा के रुख में बदलाव के साथ राजस्थान लौटेंगे। एफएओ ने कहा की टिड्डियों के दक्षिण भारत तथा नेपाल और बांग्लादेश तक पहुंचने की संभावना कम है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार फसल खाने वाले ये कीट पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश कर के राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश के अलावा, यहउत्तर प्रदेश के झांसी जिले और महाराष्ट्र के रामटेक शहर में भी प्रवेश कर गये हैं।

एफएओ के महानिदेशक क्यू डोन्ग्यू ने 22 मई को आगाह किया था कि रेगिस्तानी टिड्डियों को नियंत्रित करने के प्रयासों में समय लगेगा। आने वाले महीनों में, इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में रेगिस्तानी टिड्डियों के दल प्रजनन जारी रखेंगे। जून में नए टिडढ़े बनेंगे और दक्षिण सूडान से सूडान में जाएंगे और पश्चिम अफ्रीका में सहेल के लिए खतरा पैदा करेंगे। भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों किनारों पर भी खतरा बढ़ गया है।

ईरान और पाकिस्तान में प्रकोप अभी भी जारी है। नियंत्रण के तमाम प्रयासों के बावजूद, हाल ही में भारी बारिश ने कई देशों में कीटों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थिति पैदा की है। क्यू ने कहा कि कोविड-19 के प्रभावों के साथ टिड्डियों के प्रकोप के कारण आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर भयावह प्रभाव हो सकते हैं।

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