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Hindi News भारत राष्ट्रीय कुआं दलितों से बनवाते हो, फिर पानी पीने से रोकते क्यों हो: थावरचंद

कुआं दलितों से बनवाते हो, फिर पानी पीने से रोकते क्यों हो: थावरचंद

दलित जाति के जो लोग कुएं खोदते हैं और मूर्तियां बनाते हैं, उन्हें कुएं से पानी पीने एवं मंदिरों में प्रवेश से रोका जाना आज के युग में ठीक नहीं है।

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भोपाल: जाति के आधार पर चल रहे भेदभाव पर खेद व्यक्त करते हुए केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि दलित जाति के जो लोग कुएं खोदते हैं और मूर्तियां बनाते हैं, उन्हें कुएं से पानी पीने एवं मंदिरों में प्रवेश से रोका जाना आज के युग में ठीक नहीं है। लोगों से ऐसी सोच बदलनी चाहिए। 

उज्जैन जिले के नागदा में एक सरकारी कॉलेज में शनिवार को डॉक्टर भीम राव अंबेडकर पर आयोजित एक सेमिनार में गहलोत ने कहा, आप हमसे (दलितों से) कुआं खुदवा लेते हैं, लेकिन हमें पानी पीने से आप रोकते हैं... हम मूर्तियां बनाते हैं, लेकिन मंदिर के दरवाजे हमारे लिए बंद कर दिए जाते हैं। 

अपने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने नई दिल्ली से फोन पर पीटीआई-भाषा को आज बताया, आज भी हमें देश में एक या दो ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट मिल रही है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये एक-दो घटनाएं भी नहीं होनी चाहिए। 

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नागदा में सरकारी कॉलेज में उन्होंने कहा, कुंआ हमेशा हमसे (दलितों से) खुदवा लेते हो, वो जब आपका हो जाता है तो पानी पीने से रोकते हो, तालाब बनाना हो तो मजदूरी हमसे (दलितों से) करवाते हो, हम थकते हैं, उस समय हमारा पसीना भी वहीं गिरता है, लघुशंका (पेशाब) आती है तो दूर नहीं जाते वहीं करते हैं। परंतु जब उसका पानी पीने का अवसर मिलता है तो फिर कहते हो कि अबदा (दूषित होना) जाएगा। 

गहलोत ने आगे कहा, आप मंदिर में जाकर मंत्रोच्चारण करते हो, उसके बाद वे दरवाजे हमारे लिए बंद हो जाते हैं। उन्होंने सवाल किया, आखिर कौन ठीक करेगा इसे गहलोत ने कहा, मूर्ति हमने बनायी, भले ही आपने पारिश्रमिक दिया होगा, पर दर्शन तो हमें कर लेने दो, हाथ तो लगा लेने दो। 

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